कांग्रेस नेताओं के दावे के बावजूद पेपर लीक का कथित ऑडियो क्यों नहीं हुआ जारी
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Created on Tuesday, 31 May 2022 18:12
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Written by Shail Samachar
कांग्रेस की आक्रामकता पर उठने लगे सवाल
शिमला/शैल। प्रदेश कांग्रेस के संगठन में हुये फेरबदल के बाद यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि अब कांग्रेस एकदम आक्रामक होकर जयराम सरकार और भाजपा को घेरने में लग जायेगी। लेकिन अभी तक नयी टीम पुलिस पेपर लीक मामले को हांकने से ज्यादा कुछ नया नहीं कर पायी है। नये के नाम पर पदाधिकारियों की सूची को ही लंबा किया जा रहा है। ऐसे नेताओं को भी पद दिये गये हैं जो शायद व्यवहारिक रूप से बहुत ज्यादा सक्रिय भी नहीं रह गये थे। यह सही है कि वरीयता और वरिष्ठता का सम्मान होना चाहिये। लेकिन जिस आकार की नयी टीम बना दी गयी है उससे यह आशंका बलवती हो गयी है कि कहीं नई टीम इन वरिष्ठों के भार तले ही न दब जाये। आज जयराम सरकार का सत्ता का अंतिम वर्ष चल रहा है। सरकार के इस कार्यकाल में कांग्रेस कोई आरोप पत्र तक सरकार के खिलाफ जारी नहीं कर पायी है। हालांकि इसके लिये एक कमेटी भी गठित कर दी गयी थी। इस पर यह सवाल आज तक खड़ा है कि क्या कांग्रेस की नजर में सरकार का सब कुछ ठीक रहा है या फिर अपने पर लगे आरोपों से बचने की कवायद में ऐसा किया गया। आज आम आदमी पार्टी की आमद लगातार कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिये गंभीर चुनौती बनती जा रही है। इस परिपेक्ष में कांग्रेस को व्यवहारिक रूप से अपना पक्ष जनता में स्पष्ट करना होगा और उसके लिए आक्रामक होने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
राष्ट्रीय स्तर पर जिस तरह से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता खासकर वह लोग जो जी 23 ग्रुप में सक्रिय थे वह एक-एक करके पार्टी छोड़ते जा रहे हैं। जी 23 से जुड़े कई वरिष्ठ नेताओं को कांग्रेस ने राज्यसभा के टिकट नहीं दिये है। हिमाचल से ताल्लुक रखने वाले आनंद शर्मा भी इस सूची में शामिल रहे हैं। ऐसे में यह आशंका बराबर बनी हुई है कि जी-23 के लोग कभी भी कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। हिमाचल में स्व. वीरभद्र सिंह के वक्त में कांग्रेस में आंतरिक गुटबाजी बराबर बनी रही है। इसी के कारण पार्टी में वीरभद्र ब्रिगेड के बनाये जाने के हालात पैदा हो गये थे। भाजपा ने कैसे स्व. वीरभद्र सिंह के खिलाफ बने मामलों को हर चुनाव में भुनाया है। यह आज कांग्रेस को हर समय याद रखने की आवश्यकता है। भाजपा चुनाव जीतने के लिये किस हद तक जा सकती है इसे देश का हर वरिष्ठ नेता जानता है। स्व. वीरभद्र के वक्त में जो मीडिया उनके आगे पीछे घूमता था आज वही मीडिया भाजपा और जयराम के गिर्द घूम रहा है। इस परिदृश्य में कांग्रेस को भाजपा को चुनाव में हराने के लिये कोई ठोस नीति बनाना आवश्यक होगा। क्योंकि भाजपा जिस आक्रमकता के साथ चुनाव में उतरती है इन आठ वर्षों में हुये चुनावों में लगातार सामने आता रहा है। हर चुनाव में भाजपा नए मुद्दे गढ़ती है। कभी पुराने मुद्दों पर चर्चा नहीं आने देती है। इसलिये भाजपा को उसी की रणनीति से घेरने की नीति पर कांग्रेस नहीं चलेगी उसके लिए चुनावी रास्ता आसान नहीं होगा।
यह सवाल इसलिये उठ रहे हैं कि प्रदेश कांग्रेस की ओर से कभी अभी तक ऐसा कोई बड़ा मुद्दा नहीं उठाया गया है जिस पर सही में सरकार घिरती नजर आये। पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में कांग्रेस के कुछ नेताओं का यह दावा सामने आया था कि उनके पास इस मामले से जुड़ा एक आडियो उपलब्ध है जिसमें कुछ बड़े अधिकारियों का आपसी संवाद है। यह ऑडियो मीडिया को भी जारी करने का दावा किया गया था। लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है। जबकि यह मामला आज सी.बी.आई.को सौंप दिया गया है। इससे कांग्रेस की विश्वसनीयता पर सवाल उठने की स्थिति बनती जा रही है। यह सही है कि जनता केंद्र से लेकर राज्यों तक की सरकार से तंग आ चुकी है और बदलाव चाहती है। इस समय आम आदमी पार्टी एक विकल्प के रूप में हर रोज मजबूत होती जा रही है। ऐसे में यदि कांग्रेस अभी से सजग होकर न चली तो जरूरी नहीं है कि उसे सत्ता मिल ही जाये। आम आदमी पार्टी को हल्के से लेना बड़ी गलती होगा। क्योंकि पंजाब में मुसेवाला के हत्यारों की धरपकड़ शुरू हो चुकी है। हिमाचल प्रभारी और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को ई.डी. ने उस समय गिरफ्तार किया है जब इसी मामले में सी.बी.आई. एक पखवाड़ा पहले ही कोर्ट में चार्जशीट दायर कर चुकी है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि इस गिरफ्तारी के पीछे राजनीतिक कारण हैं और वह हिमाचल के चुनाव हैं। इसलिये यदि कांग्रेस सरकार के खिलाफ आक्रामकता में चूकती है तो उसके लिये जीत आसान नहीं होगी।