क्या हिमाचल में आप दिल्ली से ही संचालित होगा
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Created on Tuesday, 17 May 2022 07:24
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Written by Shail Samachar
क्या कांग्रेस भाजपा से नाराज लोगों के आने से ही विश्वसनीयता बनेगी।
खालिस्ताान प्रकरण पर आप का दो टूक जवाब क्यों नहीं आ रहा?
मुफ्ती की घोषणाओं को पूरा करने के लिए संसाधन कहां से आयेंगे।
शिमला/शैल। आम आदमी पार्टी हिमाचल में विधानसभा का चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा है। इस ऐलान के बाद अरविंद केजरीवाल प्रदेश में मंडी और शाहपुर में दो सफल रोड शो रैलियां भी कर चुके हैं। मंडी की रैली के बाद आप ने दिल्ली में दावा किया था कि हिमाचल में भाजपा हाईकमान जयराम ठाकुर को हटाकर अनुराग ठाकुर को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने जा रही है। आप के इस दावे का जवाब अनुराग ठाकुर ने केजरीवाल की शाहपुर रैली से पिछली रात आप के प्रदेश संयोजक सहित तीन नेताओं को दिल्ली में नड्डा के आवास पर भाजपा में शामिल करवा दिया। आप की इस टूटन के बाद अभी तक पार्टी प्रदेश में नया संयोजक नामित नहीं कर पायी है। यहां तक की आप के प्रभारी सत्येंद्र जैन के मुख्यमंत्री के चुनाव क्षेत्र सराज में जो रोड शो करने का ऐलान कर रखा था उसकी तारीख तक अभी घोषित नहीं कर पाये हैं। जो उत्साह केजरीवाल की सफल रैलीयों के बाद आप के पक्ष में प्रदेश में बनने लगा था उसमें अचानक ब्रेक लग गयी है। जबकि मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं देने का जो ऐजैण्डा लेकर आप चल रही है उसी ऐजैण्डे की कॉपी करते हुये जयराम ठाकुर ने भी मुफ्ती की कुछ घोषणाएं कर दी थी। तब उसके लिये भी श्रेय केजरीवाल को ही दिया गया था। लेकिन इस सबके बाद अब जब आप की गतिविधियों में एक तरह की ब्रेक लग गयी है तो उससे हिमाचल के प्रति आप की गंभीरता और ईमानदारी पर सवाल उठने शुरू हो गये हैं। क्योंकि आप ने दिल्ली में एक पत्रकारवार्ता में दावा किया था कि प्रदेश भाजपा के तीन बड़े नेता पार्टी में शामिल हो रहे हैं। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। बल्कि प्रदेश में पार्टी के नेताओं कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया में पोस्ट डाल कर दर्जनों कांग्रेस और भाजपा के नेताओं के नाम उछालते हुये यह दावे किये थे कि यह सब लोग उनके संपर्क में चल रहे हैं और जल्दी पार्टी में शामिल होंगे। इसमें कुछ भी नहीं हो पाया है। इस समय यह आम चर्चा का विषय बनता जा रहा है कि आप में कोई बड़ा नेता शामिल नही हो रहा है। जितने भी नेताओं से संपर्क साधने की खबरें आती है उन सब में यह आता है कि शामिल होने वाले नेता यह शर्त रख रहें हैं कि पहले उन्हें आप की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाये। संयोगवश इस समय कांग्रेस और भाजपा से नाराज चल रहे सभी छोटे-बड़े नेताओं में यह साहस नहीं है कि वह प्रदेश की वर्तमान समस्याओं पर कोई स्पष्ट राय रख पाये और उनके लिये अपने दलों के नेतृत्व को प्रमाणिक रूप से जिम्मेदार ठहरा सके। जनता को यह स्पष्ट कर पाये कि उनके पास प्रदेश के लिये क्या योजना है और उसे पूरा करने के लिये संसाधन कहां से आयेंगे। आम जनता यदि भाजपा कांग्रेस का विकल्प चाहती है तो उसके लिये विकल्प को विश्वसनीय भी होना पड़ेगा। आप अभी तक प्रदेश में यह विश्वसनीयता बना पाने में सफल नहीं हो पायी है और भाजपा कांग्रेस से नाराज लोगों को लाने से यह विश्वास बन भी नहीं पायेगा। क्योंकि यह आम आदमी की अवधारणा से ही एकदम विपरीत है। आप को आम आदमी की पार्टी बनने के लिये आम आदमी में से ही नेतृत्व निकालना होगा। आम आदमी पार्टी को दिल्ली से बाहर अब पंजाब में प्रमाणित करना होगा कि यह सही में आम आदमी है। चुनावी वादे को पूरा करने के लिये केंद्र की सहायता पर निर्भरता से कुछ भी पूरा करना आसान नहीं होगा। हिमाचल में आने से पहले ही शांता कुमार और विजय मनकोटिया के संपर्क में होने के दावे किये जा रहे थे जिनका कोई खंडन नहीं किया गया। जबकि इन्हीं सम्पर्कों ने जो सवाल आप से पूछे और उछालें हैं उनका जवाब आज तक नहीं दिया जा सका है। खालिस्तान को लेकर जो सवाल उठाये गयेे उनमें लगातार आप को अपरोक्ष में निशाने पर लिया जा रहा है। अब तक इस संद्धर्भ में जो कुछ भी घटा है उसके लिये अपरोक्ष में आप को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। लेकिन आप की ओर से कोई जवाब नहीं आ रहा है। स्थिति यह बनती जा रही कि आप के चुप रहने से भी इन आक्षेपों से बच नहीं पा रही है। यदि और कुछ समय तक ऐसा ही चलता रहा तो पार्टी को आगे बढ़ना कठिन हो जायेगा। क्योंकि अब पार्टी के भीतर से ही यह आवाजें उठना शुरू हो गयी है कि दिल्ली से ही हिमाचल का संचालन कब तक होता रहेगा।