क्यों नहीं आ पाया कांग्रेस का आरोप पत्र उठने लगा है सवाल

Created on Wednesday, 30 March 2022 14:06
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। प्रदेश कांग्रेस में चार उपचुनाव जीतकर जो जोश का माहौल खड़ा हुआ था उसकी हवा पांच राज्यों में मिली हार से पूरी तरह निकल गयी है यहां एक कड़वा सच है। इसमें पंजाब में आप की जीत ने प्रदेश कांग्रेस के सारे पुराने समीकरण बिगाड़ कर रख दिये हैं। क्योंकि अभी कांग्रेस से ही ज्यादा लोग निकलकर आप में जा रहे हैं। जो कांग्रेस चारों उपचुनाव जीतकर अति उत्साहित होकर चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री कौन होगा की अंदरूनी लड़ाई में व्यस्त हो गयी थी आज उसमें अपने ही कुनवेे को संभाल कर रखने वाला कोई बड़ा चेहरा सामने नहीं है। आज कांग्रेस में स्व. वीरभद्र की कमी को पूरा करने वाला कोई नहीं दिख रहा है। आज कांग्रेस में इस सवाल का जवाब देने वाला कोई नहीं है कि उसने जयराम सरकार के खिलाफ इन चार वर्षों में कौन सा बड़ा मुद्दा खड़ा किया है। यहां तक कि इस वर्ष ही पार्टी ने सरकार के खिलाफ एक आरोप पत्र लाने की घोषणा की थी। इसके लिये एक कमेटी का गठन भी कर दिया गया था। माना जा रहा था कि यह आरोप पत्र इस बजट सत्र से पहले जारी हो जायेगा और सत्र में चर्चा में ला दिया जायेगा। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। जयराम सरकार के कार्यकाल में आयी दो कैग रिपोर्टों में ही सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठे हैं। लेकिन कांग्रेस इन रिपोर्टों पर भी कुछ नहीं कर पायी है। 2014 में कांग्रेस को भ्रष्टाचार का पर्याय बताकर उससे सत्ता छीनी गयी थी। हिमाचल के हर चुनाव में भाजपा के सभी छोटे-बड़े नेताओं ने स्व. वीरभद्र के खिलाफ बने मामलों को खूब भुनाया था। लेकिन यह प्रदेश कांग्रेस भाजपा के ही वरिष्ठ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार उन्ही की आत्मकथा में केंद्र की भाजपा सरकारों के खिलाफ लगाये गये भ्रष्टाचार के आरोपों पर जुबान नहीं खोल पाये हैं। जबकि इन आरोपों के माध्यम से भाजपा को शिमला से लेकर दिल्ली तक घेरा जा सकता था। इससे यह सवाल उठने लग पडा है कि प्रदेश का कांग्रेस नेतृत्व भाजपा से डरकर चल रहा है या इसका कोई और बड़ा कारण है। आज प्रदेश की राजनीति जिस मोड़ पर आकर खड़ी हो गयी है वहां यदि कांग्रेस इस स्थिति से बाहर नहीं निकलती है तो उसका भविष्य प्रश्नित ही रहेगा। इस समय कांग्रेस को प्रदेश हित में इस दुविधा की स्थिति से बाहर निकलने के लिये नया नेतृत्व तलाशना आवश्यक हो जायेगा।