बाली की बेबाकी

Created on Friday, 17 January 2014 12:51
Written by Shail Samachar

शिमला। कांग्रेस /भाजपा के सियासी कुनवे में परिवहन मन्त्री जी एस बाली ही एक मात्र ऐसे राजनेता है जिन्होने विधानसभा सत्र के अन्तिम दिन माननीयों के वेतन भत्तों में ध्वनि मत से हुई वृद्धि पर विरोध जताया है। बाली ने कहा कि यह विधेयक पारित होने के समय पर सदन में नहीं थे। बाली ने सीधे जनता से भी आवाह्न किया है कि यदि वह इस वृद्धि को जायज नहीं ठहराती है तो वह उन विधायकों को चुनावों में परास्त कर दे जिन्होनें यह वृद्धि करवाई है। बाली ने अपने बढ़े हुए वेतन को अपने क्षेत्र की वैलफेयर सोसायटी को दान देने की भी घोषणा की है। बाली यह कर भी सकते हैं।
माननीय के वेतन भत्तों में हुई इस वृद्धि से प्रदेश का हर संवेदनशील नागरिक नाराज है। नाराजगी का कारण स्पष्ट है क्योंकि इस वृद्धि की अदायगी कर्ज लेकर की जाएगी। 31 मार्च 2016 को प्रदेश का कुल कर्जभार चालीस हजार करोड़ का आंकड़ा पार कर गया है। पहली बार 31 मार्च को सरकारी भुगतान करने के लिए पैंन्शन की राशि का सहारा लिया गया है। यह स्थिति एक बड़े वित्तिय संकट का संकेत है। प्रदेश के आर्थिक और वित्तिय प्रबन्धन पर कैग रिपोर्ट में गम्भीर सवाल उठाए गए हैं। कैग रिपोर्ट पर विपक्ष ने भी तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
वेतन-भत्तों की बढ़ौतरी के बिल के सदन में रखे जाने पर स्पीकर की एक सदस्य को यह टिप्पणी की यदि आपका संकल्प चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया जाता तो यह बढ़ौतरी का विधेयक ला पाना संभव न होता। स्पीकर की इस टिप्पणी पर सबका मौन स्वीकार और बिना किसी बहस के चन्द क्षणों में ही विधेयक का पारित हो जाना माननीयों की नीयत और नीति पर काफी कुछ कह जाता है।
इस परिदृश्य में यह बढ़ौतरी आने वाले दिनों में एक भारी जन चर्चा का मुद्दा बनेगी। हर माननीय से उनके क्षेत्र मे यह सवाल पूछा जाएगा कि इतनी बढौतरी क्यों? इस बढौतरी से प्रदेश का क्या हित होने वाला है? वह इस बढौतरी को किस प्रकार खर्च करेंगे? क्या वह यह सुनिश्चित करेंगे कि इसके लिए प्रदेश के आम आदमी पर कर्ज का और बोझ तो नहीं डाला जाएगा। स्पष्ट है कि आज हमारे माननीयों के पास जनता के इन सवालों का कोई जवाब नहीं है।
बाली ने इस विधेयक के अवसर पर सदन में उपस्थित न रहकर क्या इस स्थिति का पूर्व आकलन कर लिया था? उन्होने जिस ढंग से जनता का आवाह्न किया और स्वयं इस बढौतरी को वैल्फेयर सोसायटी को देने की बात की है उससे आने वाले दिनों में एक नई बहस का छिड़ना तय है।