घातक होगी कांग्रेस में उठी शक्ति परीक्षण की कवायद

Created on Tuesday, 04 January 2022 15:48
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। मोदी सरकार ने देश की जनता को नये वर्ष पर बहुत सारी चीजों पर जीएसटी 5% से बढ़ाकर 12% करके महंगाई का उपहार दिया है। सरकार के इस महंगाई उपहार को मुद्दा बनाकर कांग्रेस पार्टी ने इस पर तीखा हमला किया है। महंगाई से बेरोजगारी भी बढ़ेगी इस पर भी कांग्रेस ने विस्तार से चर्चा की है। महंगाई और बेरोजगारी ऐसे मुद्दे हैं जिन से हर आदमी प्रभावित हो रहा है। हर आदमी इन्हें समझ भी रहा है। लेकिन आज जिस तरह से सरकार और उसके शुभचिंतक इस समस्या के लिए पूर्व की कांग्रेस सरकारों को दोष देकर राम मंदिर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, मथुरा  तथा तीन तलाक और धारा 370 के हटाये जाने को सबका साथ सबका विश्वास और सबका विकास बता कर अपना पक्ष रख रहे हैं। उसके कारण आम आदमी महंगाई बेरोजगारी को स्वाभाविक प्रतिफल मानकर अपना तीव्र रोष व्यक्त नहीं कर पा रहा है। जब तक आम आदमी का रोष पूरी तरह मुखर होकर सड़क पर नहीं आ जाता है तब तक सरकार इस पर लगाम लगाने का कोई प्रयास नहीं करेगी।
महंगाई और बेरोजगारी के आंकड़े परोसने के साथ ही कांग्रेस को इसके कारण भी जनता के सामने रखने होंगे। सरकार के कौन से ऐसे फैसले रहे हैं जिन का परिणाम महंगाई के रूप में सामने आया है। कांग्रेस ने नये साल के अवसर पर महंगाई बेरोजगारी को लेकर एक विस्तृत चार पन्नों की प्रतिक्रिया जारी की है लेकिन इसमें इसके कारणों पर कोई प्रकाश नहीं डाला है। कांग्रेस की प्रतिक्रिया से यही संकेत उभरता है कि यह एक रस्म अदायगी मात्र है। जबकि केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक सभी के ऐसे फैसले उपलब्ध हैं जिनको लेकर सरकारों को कटघरे में खड़ा किया जा सकता है। हिमाचल सरकार के खिलाफ तो सीएजी ने ही बड़ा फतवा दिया है कि सरकार ने 96 योजनाओं पर एक नया पैसा तक खर्च नहीं किया है। जबकि यह सारी योजनायें जनहित से जुड़ी हुयी है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री आवास से लेकर मंत्रियों अधिकारियों के आवास तक ऐसे कार्यों को अंजाम दिया गया है जिनको शायद नियम भी अनुमति नहीं देते हैं। लेकिन प्रदेश कांग्रेस इन सारे मुद्दों पर खामोश रही है।
भ्रष्टाचार पर तो शांता कुमार ने ही अपनी आत्मकथा में सरकार को बुरी तरह घेरा हुआ है। शांता कुमार के इन आरोपों को यदि प्रदेश कांग्रेस मुद्दा बनाती तो राष्ट्रीय स्तर पर सरकार को घेरा जा सकता था। क्योंकि 2014 में भ्रष्टाचार ही सबसे बड़ा मुद्दा था जो सत्ता परिवर्तन का कारण बना था। जयराम सरकार के भ्रष्टाचार पर भी कांग्रेस अभी तक पूरी तरह हमलावर होकर सामने नहीं आयी है। बल्कि विधानसभा के अंदर जिन मुद्दों पर कांग्रेस सरकार को घेर पा रही है उन मुद्दों को भी जनता में पूरी ईमानदारी से नहीं रख पायी है। जबकि इस समय एक सशक्त विपक्ष की जरूरत है यह सही है कि प्रदेश की जनता ने उपचुनावों के माध्यम से सरकार को कड़ा संदेश दे दिया है। लेकिन इसमें कांग्रेस की ओर से कोई बड़ा योगदान भी नहीं है।
इस समय कांग्रेस में जिस तरह की खीचातानी प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष होने के लिए शुरू होकर बाहर आ गयी है वह कालांतर में पार्टी की सेहत के लिए कोई बड़ा अच्छा संकेत नही है। इस समय अध्यक्ष के साथ दो कार्यकारी अध्यक्ष तथा नेता प्रतिपक्ष के साथ उप नेता बनाये जाने के प्रयासों का आम जनता पर कोई अच्छा प्रभाव नहीं पड़ रहा है। नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मुकेश अग्निहोत्री को सफल माना जा सकता है और उसी तर्ज पर दो नगर निगमों के बाद आये विधानसभा तथा लोकसभा के चारों उपचुनाव जीतना कुलदीप राठौर के पक्ष में जाता है। यह सही है कि इस समय सुक्खू ही एक ऐसे नेता है जो छः वर्ष तक पार्टी का अध्यक्ष रहा है और वह भी स्व. वीरभद्र सिंह के विरोध के बावजूद। इस नाते प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में सुक्खू के समर्थक हैं। इस नाते आज प्रदेश के बड़े नेताओं के नाम पर यदि प्रतिभा सिंह, आशा कुमारी, सुखविन्दर सिंह सुक्खू, मुकेश अग्निहोत्री और प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर किसी भी कारण से एकजुटता का संदेश न दे पाये तो यह पार्टी के लिए घातक होगा। शक्ति परीक्षण की कोई भी कवायद किसी के भी हक में नहीं होगी यह तय है।