क्या शिमला का जल प्रबन्धन फेल हो चुका है निर्वाणा वुडज़ के पत्र से उठा सवाल

Created on Wednesday, 20 January 2021 09:59
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। नगर निगम क्षेत्रा शिमला के जल प्रबन्धन को लेकर इन दिनों गंभीर सवाल उठ रहे हैं। यह सवाल उठने में नगर निगम शिमला के पूर्व पार्षद और संघ भाजपा के युवा नेता गौरव शर्मा ने ही पहल की है। यह सवाल पानी के बिलों को लेकर उठ रहे हैं क्योंकि यह बिल उपभोक्ता की पानी की वास्तविक खपत पर नहीं दिये जा रहे हैं। इसी कारण से यह बिल कई गुणा बढ़कर आ रहे हैं। यह स्पष्ट नहीं किया जा रहा है कि क्या पानी के दाम बढ़ा दिये गये हैं या भारी भरकम बना दिये गये प्रबन्धन के खर्चे पूरे करने के लिये बढ़ाये गये हैं। क्योंकि जब पार्टी के ही नेता इस प्रबन्धन की तुलना ईस्ट इण्डिया कंपनी के साथ करना शुरू कर दे तो निश्चित रूप से यह मानना ही पड़ेगा कि कहीं तो गंभीर गड़बड़ हैै। शिमला के जल प्रबन्धन को सुचारू करने के लिये ही शिमला जल प्रबन्धन निगम का गठन किया गया था। लेकिन इस प्रबन्धन के बाद एक बड़ा सवाल पानी के मीटरों की खरीद को लेकर उठ रहा है और इस संद्धर्भ में जांच भी शुरू कर दी गयी है। इसलिये जब तक यह जांच रिपोर्ट सामने नहीं आ जाती है तब तक इस पर कुछ ज्यादा कहना संगत नहीं होगा। क्योंकि हजारों मीटरों के गायब होने का आरोप है।
पानी के दामों और बिलों को लेकर विधानसभा तक में भी सवाल उठ चुके हैं। हर बार जवाब दिया गया है वास्तविक रिडिंग पर ही बिल दिये जा रहे हैं जबकि ऐसा हुआ नही हैं। स्वभाविक है कि जब औसत के आधार पर बिल दिया जोयगा तो उसमें पूरे क्षेत्र के सारे खर्च हो मिलकर सारे उपभोक्ताओं के आधार पर औसत निकाली जायेगी और उसमें कम पानी खर्च करने वालों को ज्यादा बड़े बिल थमा दिये जायेंगे। ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि जल प्रबन्धन हर मीटर की रिडिंग करने की व्यवस्था क्यों नहीं कर पा रही है? क्योंकि जब तक वास्तविक रिडिंग नहीं हो जाती है तब तक इस समस्या का सही हल नहीं निकल पायेगा और यह आरोप लगता रहेगा कि प्रभावशाली व्यवसायियों के दबाव में ऐसा किया जा रहा है। यह बात निर्वाणा वुडज़ द्वारा शिमला जल प्रबन्धन निगम को लिखे पत्र से सामने आयी है। निर्वाणा वुडज पर यह आरोप है कि उसके निर्माण के कारण वहां की सीवरेज लाईन को नुकसान पहुंचा है इसके लिये उसे पत्र लिखा गया। वैसे सरकारी संपति को नुकसान पहुंचाने के लिये आपराधिक मामला तक दर्ज करवाने तक का नियमों में प्रावधान है। निर्वाणा वुडज ने जल प्रबन्धन के पत्र का जो जवाब दिया है उसमें उसने सीवरेज लाईन को हुए नुकसान की जिम्मेदारी अपने स्तर पर नहीं ली है। उसमें प्रबन्धन को अपने स्तर पर ही इस लाईन की रिपेयर करवाने को कहा है साथ ही यह भी कहा है कि इस रिपेयर का खर्च जल प्रबन्धन को देने के लिये तैयार है।
निर्वाणा वुडज ने अगर सीवरेज लाईन को नुकसान ही नहीं पहुंचाया है तो वह इसका खर्च उठाने को क्यों सहमत हो रहा है? इससे यह संकेत उभरना स्वभाविक है कि जल प्रबन्धन ने इस मामले में या तो वांच्छित कारवाई नहीं की है या फिर निर्वाणा वुडज को बिना गलती के दण्डित किया जा रहा है। दोनो में से जो भी स्थिति रही हो उससे जल प्रबन्धन की कार्यशैली पर ही सवाल उठते हैं।