बागवानी विभाग के 50 लाख के घपले पर कारवाई क्यों नहीं

Created on Tuesday, 08 September 2020 07:48
Written by Shail Samachar
शिमला/शैल। प्रदेश के बागवानी विभाग में 50 लाख से अधिक की अनावश्यक मशीनरी खरीद करके सरकारी धन का दुरूपयोग हुआ है यह आरोप हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं संघ नेताओं ने एक प्रैस ब्यान जारी करके लगाया है। आरोप है कि खरीद की गयी मशीनरी न केवल अनुपयोगी ही थी बल्कि इसमें वित्तिय नियमों की भी धज्जियां उड़ाई गयी हैं। यह खरीद विभाग के निदेशक द्वारा की गयी है और इसके लिये भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत कारवाई की जानी चाहिये यह मांग महासंघ के राज्य महासचिव गीतेश और जिला शिमला के अध्यक्ष गोविन्द बरागटा ने की है।
महासंघ के नेताओं का आरोप है कि विभाग में वर्ष 2018-19 में 37 लाख की मशीनरी बिना मांग और वित्तिय प्रक्रियाओं को नजरअन्दाज करके खरीदी गयी जबकि इसकी कोई आवश्यकता नही थी। इस खरीद पर कैग रिपोर्ट में सवाल उठाये गये हैं। इसके बाद वर्ष 2019 में दिल्ली की एक फर्म से मशीनरी खरीदने के लिये 14 लाख रूपये सरकारी कोष से निकाले गये परन्तु यह मशीनरी आज तक नहीं आयी है। जबकि निदेशक 30-8-2020 को सेवानिवृत भी हो गये हैं। यही नहीं विभागीय फल विधायन केन्द्र और सामुदायिक डिब्बाबंदी केन्द्र में तो तीन साल से भी अधिक समय की कैश बुक का सत्यापन ही नही हो पाया है। यह सारी अनियमितताएं कैग रिपोर्ट में दर्ज है लेकिन आज तक इस पर कोई कारवाई नही हो सकी है और इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की जीरो टालरैन्स के दावे पर गंभीर सवाल खड़े हो जाते हैं।
महासंघ के नेताओं ने मांग की है कि विभाग की कार्यप्रणाली को सुधारों के लिये निदेशक के पद पर आईएएस की नियुक्ति की जानी चाहिये। इसी के साथ विभाग के तीन संयुक्त निदेशक के पदों में से एक पद पर एचएएस की नियुक्ति किये जाने की भी मांग की गयी है। वैसे कैग रिपोर्ट में स्वास्थ्य विभाग की सौ करोड़ की खरीद पर भी गंभीर सवाल उठे हुए हैं। आपदा प्रबन्धन के पैसों से सरकारी भवनों की रिपयेर किये जाने को कैग ने एकदम नियमों के विरूद्ध करार दिया है। इस रिपेयर पर खर्च होने के कारण आपदा प्रभावित को राहत नहीं दी जा सकी है। लेकिन कैग की इन स्पष्ट रिपोर्टों पर कारवाई न होने से भ्रष्टाचार को लेकर सरकार की नीयत और नीति दोनों सवालों में आ जाते हैं।