राष्ट्रीय वेतन नीति पर जल्द फैसला ले मुख्यमन्त्रीः महासंघ

Created on Tuesday, 25 August 2020 10:42
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। राज्य के स्टाफ को लागू होने वाले जनवरी 2016 से संशोधित वेतनमानों पर सरकार से शीघ्र गंभीरता से विचार कर फैसला लेने की मांग करते हुए हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ के नेताओं ने कहा है कि देश में 10 वर्ष की अवधि के बाद वेतन आयोग का गठन होता है और उसके उपरांत आयोग  देश के हर राज्य का बजटीय प्रावधान, राजस्व आय व्यय और वहां की जनसंख्या अनुपात जैसे विषयों के आकलन करने के उपरांत वेतनमानों के संशोधन की सिफारिश सरकार को देता है और सरकार आयोग की उन सभी सिफारिशों का आकलन कर रिपोर्ट को वैधानिक रूप से लागू करने  की स्वीकृति देती है। केंद्र की मोदी  सरकार ने 2016 के वेतन आयोग की रिपोर्ट को  समय पर लागू करने के लिए पहले ही बजट में अग्रिम  प्रावधान कर लिया था ताकि तय और देय समय पर देश का कर्मचारी वर्ग संशोधित वेतनमानो का लाभ उठा सकें, लेकिन हिमाचल का कर्मचारी वर्ग संशोधित वेतनमान लागू होने का पाँच साल से इन्तजार कर रहा है।
महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष विनोद कुमार, महासचिव गीतेश पराशर,जिला शिमला के अध्यक्ष गोबिन्द बरागटा महासचिव विनोद शर्मा वरिष्ठ उपाध्यक्ष संत राम शर्मा उपाध्यक्ष शालिग राम चौहान अतिरिक्त महासचिव एल डी चौहान ने कहा है कि हिमाचल का कर्मचारी वर्ग संशोधित वेतनमानो को लेकर केंद्रीय सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग कर रहा है और  इस बारे लिखित रूप में सरकार को एक साल पहले दिए गए ज्ञापन पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भी चर्चा की गई है तथा प्रदेश के मुख्य सचिव अनिल खाची जी जो उस समय वित विभाग को देख रहे थे से भी लम्बी चर्चा हुई है और इस पर सरकार ने कार्य शुरू कर दिया था लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पैदा हुए विपरीत हालातों के चलते इसमें व्यवधान उत्पन्न हुऐ है,और इन परिस्थितियो में कर्मचारी वर्ग ने सरकार को  हर सम्भव सहयोग किया है लेकिन वेतन आयोग की रिपोर्ट को केंद्र और अन्य राज्यों की तर्ज पर प्रदेश में लागू होना और करवाना यह प्रदेश के कर्मचारीयों का अधिकार है। महासंघ नेताओं ने कहा है कि यदि कोई संघ केन्द्रीय वेतनमान से सहमत नहीं है तो वह अपने विभाग और संस्था के लिए पंजाब वेतनमान का अलग से विकल्प दे सकता है। महासंघ नेताओं ने कहा कि पंजाब में अकाली भाजपा सरकार ने नवम्बर 2015 में वेतन आयोग की घोषणा कर दी थी लेकिन पंजाब की कैप्टन अमरेन्द्र सरकार अभी तक किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंची है और असमंजस में है, इसलिए जब मोदी सरकार देश मे राष्ट्रीय भर्ती नीति लागू कर रही है तो राष्ट्रीय वेतन नीति भी लागू हो जिस बारे मुख्यमंत्री शीघ्र फैसला ले। विनोद कुमार ने कहा है कि यदि किसी वर्ग के पदों के वेतन में कोई भिन्नता आती है तो उस विसंगति का निवारण 2.56 के फार्मूले से स्वत ही हो जाएगी।