कोरोना निर्देशों की उल्लंघना पर भाजपा और सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने दायर की शिकायतें

Created on Tuesday, 11 August 2020 09:52
Written by Shail Samachar

 शिमला/शैल। प्रदेश में कोरोना के मामले हर रोज़ बढ़ते जा रहे हैं। इन्ही बढ़ते मामलों के कारण जयराम सरकार ने राज्य की जनता से यह पूछा था कि लाकडाऊन फिर से लगाया जाये या नहीं। इस पर जनता की राय एक तरफा नही रही थी। इसलिये सरकार ने पूरे प्रदेश में एक साथ लाकडाऊन लगाने का विचार छोड़ दिया था। जहां जहां मामले ज्यादा बढ़ेगे वहीं पर यह कदम उठाने का फैसला लिया गया था। लेकिन इसी के साथ कोरोना के लिये जारी दिशा निर्देशों की अनुपालना को और कड़ा करते हुए इसकी अवहेलना पर जुर्माना और सज़ा तक का प्रावधान कर दिया था। कोरोना निर्देशों की अनुपालना सुनिश्चित करने और अवहेलना करने वालों के खिलाफ कारवाई का अधिकार तथा जिम्मेदारी भी प्रशासन को ही दी गयी थी।
 लेकिन आज स्थिति यह हो गयी है कि जैसे जैसे प्रदेश में इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं उसी अनुपात में इसकी अवहेलना के किस्से भी बढ़ रहे हैं। इसमें भी रोचक यह हो रहा है कि निर्देशों की अवहेलना सत्तापक्ष की ओर से हो रही है। मुख्यमन्त्री के अपने ऊपर यह आरोप लग रहे हैं। सबसे पहले यह आरोप प्रदेश के महाधिवक्ता कार्यालय के खिलाफ लगा। 27 जुलाई को भाजपा प्रवक्ता अधिवक्ता तेजेन्द्र कुमार, अतिरिक्त महाधिवक्ता नन्दलाल और इनके दो साथीयों ज्ञान चन्द ठेकेदार तथा ड्राईवर देवेन्द्र कुमार के खिलाफ कांग्रेस के लीगल सैल के संयोजक अधिवक्ता  देवेन भट्ट, चन्द्र मोहन, कांग्रेस सचिव वेद प्रकाश ठाकुर व पवन चौहान ने शिमला के थाना सदर में शिकायत दर्ज करवायी। लेकिन  इस शिकायत पर कोई कारवाई नही हुई। यहां तक कि महाधिवक्ता कार्यालय के सारे कर्मचारी और अधिकारी संगरोध नही हुए। अब ऊर्जा मन्त्री और उनसे संवद्ध लोगों के कोरोना पाजिटिव पाये जाने पर सिरमौर मेें पूर्व मन्त्री गंगू राम मुसाफिर ने इसको लेकर प्रशासन के पास शिकायत दर्ज करवाई है। अब मुख्यमन्त्री के कांगड़ा प्रवास के दौरान कई स्थानों पर कोरोना निर्देशों की अवहेलना की शिकायतें कांगड़ा के कांग्रेस नेताओं ने प्रशासन से की हैं।
 इस समय स्थिति यह है कि राजनीति के लोग मुख्यमन्त्री से लेकर विधायकों तक जनता सेे संपर्क किये बिना रह नहीं सकते। लेकिन जब भी जनता में जायेंगे तो वहां पर कोरोना के दिशा निर्देशों की पूरी तरह अनुपालना कर पाना संभव हो नहीं सकता है। यह सत्तापक्ष और विपक्ष सभी के नेताओं पर एक समान लागू होता है। इसी कारण से कांग्रेस नेताओं ने जब धरना-प्रदर्शन आयोजित किया तो उनके खिलाफ निर्देशों की अवहेलना के आरोप लगे। अब मुख्यमन्त्री और उनके मन्त्रीयों के खिलाफ यह आरोप लग रहे हैं। प्रशासन किसी के भी खिलाफ कोई कारवाई करने का साहस नही कर पा रहा है। प्रशासन का जोर आम आदमी पर ही चलता है और उसके खिलाफ मामले दर्ज भी हुए हैं। इस तरह कुल मिलाकर स्थिति यह बन गयी है कि आम आदमी तो इन निर्देशों के कारण आज अनलाक तीन में बन्दिशों में चल रहा है और अवहेलना करने पर जेल और जुर्माना दोनों झेल रहा है। लेकिन राजनेता चाहे वह किसी भी पक्ष के क्यों न हो इन निर्देशों की खुले आम अवहेलना भी कर रहे हैं और उनके खिलाफ कारवाई भी कोई नहीं हो रही है। इस परिदृश्य में आज यह आवश्यक हो गया है कि कोरोना को लेकर सारा आकलन नये सिरे से किया जाये। आम आदमी में जो इसको लेकर डर बैठा दिया गया है उसे दूर करने का प्रयास किया जाये। क्योंकि कोरोना को लेकर अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी एकदम यूटर्न ले लिया है और उसको लेकर कोई भी उसका खण्डन नहीं कर पाया है।