कोरोना से निपटने के सरकारी प्रयासों पर उठने लगे सवाल क्या राकेश पठानिया की तर्ज पर दूसरे विधायक भी लायेंगे सैनेटाईजेशन मशीने

Created on Monday, 13 April 2020 13:08
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। कोरोना को लेकर की गयी तालाबन्दी का पहला चरण समाप्त हो रहा है। दूसरे चरण का आदेश प्रतिक्षित हैं। तालाबन्दी 30 अप्रैल तक दूसरे चरण में बढ़ाई जा रही है। कुछ राज्य सरकारों ने तो केन्द्र के आदेश से पहले ही अपने राज्यों में बढ़ौत्तरी की घोषणा कर दी है। इस बार प्रधानमन्त्री ने राज्य सरकारों से मन्त्रणा भी की है। कोरोना की स्थिति हर राज्य में अलग-अलग है। हर राज्य ने अपने -अपने यहां इसके हाट स्पाट चिन्हित कर लिये हैं जिनके चलते कोई भी राज्य इस स्थिति में नही है कि वह तालाबन्दी समाप्त करने का जोखिम उठा सके। क्योंकि यह आकलन सामने आ चुका है कि यदि तालाबन्दी न की जाती तो संक्रमितों की संख्या शायद आठ लाख से भी ऊपर जा चुकी होती। इसी के साथ यह भी आकलन है कि एक पाजिटिव 406 लोगों को संक्रमित कर सकता है। स्वभाविक है कि इस तरह के आंकड़े सामने होने की स्थिति में कोई भी सरकार यह नही चाहेगी कि जब तक एक भी संक्रमित केस मौजूद रहेगा तो तालाबन्दी खत्म करने का जोखिम नही लिया जा सकता है।
इस वस्तुस्थिति में यह सवाल जवाब मांगता है कि फिर किया क्या जाये। किसी भी महामारी में जो कुछ भी किया जाता है वह केवल डाक्टरों की सलाह पर ही किया जाता है। इस कोविड-19 के मामले में संयुक्त राष्ट्र संघ के विश्व स्वास्थय संगठन ने इसे वैश्विक महामारी घोषित करके हर देश के लिये अलग-अलग एडवाईज़री जारी की हुई है। भारत में इससे कम्यूनिटी संक्रमण का खतरा भी बताया गया था और इसी सलाह पर शैक्षणिक और धार्मिक स्थलों को बन्द कर दिया गया था। लेकिन अब इस आकलन को गलती मानकर यह कहा गया है कि कम्यूनिटी संक्रमण नही हैं। परन्तु एक आकलन यह भी आया है कि देश में 38.46%संक्रमित ऐसे केस है जिनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नही है। यह लोग किसी भी संक्रमित के सम्पर्क में नही आये हैं। कोई भी संक्रमित इनके पास नही आया है। यह एक सबसे गंभीर बिन्दु है क्योंकि इससे यह सामने आता है कि कोरोना का शिकार कोई भी हो सकता है। इससे अब तक जितने भी लोगों की मौत हुई है उनमें अधिंकांश ऐसे रहे हैं जो कोरोना के साथ ही अन्य बिमारीयों से भी पीड़ित चल रहे थे। इसके ईलाज में लगे कई डाक्टर और अन्य स्वाास्थ्य कर्मी भी इसके संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। इस पर खोज कर रहे वैज्ञानिक इसके कारणों पर अभी तक एकमत नही हो पाये हैं।
ऐसी वस्तुस्थिति में यह आवश्यक हो जाता है कि स्वास्थ्य को लेकर आवश्यक सावधनियां और अनिवार्यताएं अमल में लायी जाएं। जब तालाबन्दी में अस्पतालों में अन्य मरीजों के ईलाज पर एक तरह से रोक लगी हुई है तो क्या उससे यह संभावना स्वतः ही नही बढ़ जाती है कि ऐसे मरीज़ इसके शिकार आसानी से हो सकते हैं। इसलिये यह आवश्यक हो जाता है कि अन्य बिमारियों पर पूरी गंभीरता अपनाई जाये। क्योंकि कोरोना के लिये अलग से अस्पताल चिन्हित करके नामज़द कर दिये गये हैं। इसी के साथ यह आवश्यक हो जाता है कि सैनटाईजेशन का कार्यक्रम हर घर तक पहुंचाया जाये क्योंकि इसके परेहज़ में आपसी दूरी बनाये रखने से पहले यह कदम जरूरी है। इसके ईलाज में लगे डाक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मीयों के पास आज भी आवश्यक व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण पूरी मात्रा में उपलब्ध नही हैं इस सन्दर्भ में हमीरपुर के डाक्टरों का यह पत्र इसकी तैयारीयों का पूरा खुलासा सामने रख देता है।
माननीयों के वेत्तन भत्तों में कटौती कर दी गयी है। इस कटौती से हटकर विधायक राकेश सिंघा ने पूरे वर्ष का वेत्तन मुख्यमन्त्राी राहत कोष में दे दिया है। न्यायूर्मित विवेक ठाकुर ने राज्यपाल को अपने सहयोग का 2.51 लाख का चैक दिया है। लेकिन नुरपूर के विधायक राकेश पठानिया ने अपने चुनाव क्षेत्रा में एक स्टीम सैनेटाईजेशन मशीन नूरपूर अस्पताल को भेंट की है। इस मशीन के संचालन की विधि भी स्वयं स्वास्थ्य कर्मीयों को सिखाई है। आज प्रदेश के हर अस्पताल में इस बुनियादी मशीन की आवश्यकता है। लेकिन राकेश पठानिया की पहल के वाबजूद न तो किसी अन्य विधायक या सरकार की ओर से ही ऐसी मशीने बड़े पैमाने पर उपलब्ध करवाने के प्रयास सामने आये हैं। कोरोना की बढ़ती विकरालता को सामने रखते हुए सरकार को इस तरह के कदमों को प्राथमिकता देनी होगी।