क्या ऐसे लडे़गे कोरोना से नाहन मैडिकल कालिज में ही 3.75 करोड़ खर्च करने के बावजूद नही है आक्सिजन पाईपलाईन स्पलाई
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Created on Monday, 30 March 2020 19:36
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Written by Shail Samachar
25 मार्च के पुनर्नियुक्ति आदेशों पर अभी तक नही आया कोई भी
विभाग में डाक्टरों और पैरामैडिकल के पद अभी भी खाली
शिमला/शैल। प्रधानमंत्री द्वारा 24 मार्च को देश भर में तालाबन्दी लागू कर दी गई थी जो तीन सप्ताह तक चलेगी। इसके बाद क्या होगा इसका पता 14 अप्रैल को लगेगा। तालाबन्दी के आदेशों के चलते पुरे देश में आर्थिक उत्पादन से जुडी हर गतिविधि बन्द हो गई है। इससे लाखों कामगार और उनके परिवार प्रभावित हुये हैं। हिमाचल भी इस प्रभाव से अच्छूता नही रहा है। यहां के औद्योगिक क्षेत्रों में काम कर रहे मजदूर और उनके परिवारों के करीब पांच लाख लोग प्रभावित हुये हैं। तालाबन्दी से यह लोग इस कदर प्रभावित हूये है कि अपने अपने घरों को वापिस जाने के अतिरिक्त इनके पास और कोई विकल्प शेष नही रह गया है। दूसरी ओर तालाबन्दी में यह आदेश कि जो जहां है वह वहीं रहे। इस आदेश की अनुपालना के लिये राज्य की सारी सीमाएं सील कर दी गई है। देश भर में यही स्थिति है। ऐसे लोगों के खाने ठहरने की व्यवस्था करने और सरकार के आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी जिले के जिलाधीशों और पुलिस उपायुक्तों को दी गई है। प्रदेश में तालाबन्दी ही नही बल्कि कर्फ्यू लागू है तथा प्रदेश के भीतर भी एक जिले से दूसरे जिलो में जाने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। यह सब कोरोना के फैलाव को रोकने के लिये किया गया है क्योंकि सरकार को हर आदमी के जान माल की चिन्ता है। मुख्यमंत्री व्यक्तिगत रूप से स्थिति पर नजर रख रहे हैं और इस पर हर रोज प्रशासन से बातचीत करके प्रदेश को संबाधित भी कर रहे है।
इस परिदृश्य मे यह स्वभाविक है कि आम आदमी सरकार के प्रबन्धों उसकी नितियों और उसके आदेशों पर ही बात करेगा। कोरोना महामारी से बचाव के लिये अभी तक कोई दवाई उपलब्ध नही है यह एक कड़वा सच है। ऐसे में जब दवाई नही है तो ‘‘ईलाज से प्रहेज ही बेहतर है’’ की व्यवहारिता लागू होती है। परहेज के नाम पर सैनेटाईजर और मास्क का प्रयोग पहला कदम है इसके बाद जो भी सन्दिगध कहीं पर भी चिन्हित होता है उसे तुरन्त प्रभाव से अस्पताल पहुचाना है। अस्पताल के नाम पर पहला स्थान मेडिकल कालेज का आता है क्योंकि वहां पर मरीजों के ईलाज के साथ डाक्टर भी तैयार किये जाते हैं। जहां पर डाक्टर तैयार किये जाते हैं वहां पर सारी व्यवस्थायें एक दम चाक-चैबन्द होगी यह एक सामान्य सी अपेक्षा रहती है। इसलिये जब एक सरकार के ही मेडिकल कालेज में व्यवस्था के नाम पर गंभीर कमियां मिलेगी तो अन्य अस्पतालों का अन्दाजा लगाना कोई कठिन नही होगा। कोरोना के मरीज के लिये जांच के बाद सबसे पहले आक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है क्योंकि मरीज को सांस लेने मे तकलीफ होती है। यह सुविधा उपलब्ध कराकर उसे आसोलेस्न वार्ड में ले जाया जाता है। लेकिन प्रदेश के स्वास्थ्य संसथानों की हालत इस दिशा में क्या है इसका अनुमान डा यश्वन्त सिंह परमार कालेज नाहन से लगाया जा सकता है। यह कालेज 2016 में स्थापित हो गया था। लेकिन आज 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी यहां मरीजों को आईसीयू वार्ड में आक्सीनज की पाईपलाईन स्पलाई उपलब्ध नही हैं। 3.75 करोड़ खर्च करके पाईप लाईन व्यवस्था नही बन पाई है जबकि यह पैसा इसी व्यवस्था के लिये खर्च किया गया है। यहां तक की गैस के बड़े सिलैन्डर तक उपलब्ध नही हैै। स्टाफ की भारी कमी है। डाक्टरों के डयूटी रूम तक चालू हालत में नही है। अभी कोरोना की दस्तक के बाद मेडिकल कालेज में आसोलेस्न वार्ड तैयार किया गया है। लेकिन आसोलेस्न वार्ड कालेज के साथ लगते आयुर्वेद अस्पताल के भवन में बनाया गया है। यहां पर आक्सीजन पाईपलाईन स्पलाई व्यवस्था ही नही है। क्योंकि यह भवन ही मेडिकल कालेज ने अब लिया है। 3.75 करोड़ खर्च कर दिये गये हैं और गैस की पाईप लाईन सपलाई बल्कि बड़े सिलैण्डर तक नही है। क्या यह अपने में एक बड़ा घपला नही है। मजे की बात यह है की प्रशासन से लेकर सचिवालय तक सबको इसकी जानकारी है लेकिन फिर भी कोई कावाई आज तक नही हो पाई है।
नाहन भाजपा अध्यक्ष डा राजीव बिन्दल का चुनाव क्षेत्र है। बिन्दल धूमल सरकार में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं। इसलिये यह अन्दाजा लगाया जा सकता है कि जब डा बिन्दल के चुनाव क्षेत्र में स्थित एक सरकारी मेडिकल कालेज में इस तरह का हाल है तो प्रदेश के अन्य स्वास्थ्य संस्थानों का हाल क्या होगा।
यही नही अब कोरोना के चलते सरकार ने 25 मार्च को एक आदेश जारी करके 31.12.2017 से लेकर 29.2.2020 तक प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत हुये सभी स्वास्थ्य अधिकारियों और पैरामेडिकल कर्मियों को 30 जुन तक पुनः सेवा में बुला लिया है। यह आदेश 25 मार्च को हुये हैं और 24 मार्च से प्रदेश में कर्फ्यू और देश भर में लाकडाउन लागू है। इन आदेशों के चलते सचिवालय तक सारे कार्यालय बन्द है। सरकार के आदेशों के बावजूद निदेशालय से यह पुनर्नियुक्ति पत्र जारी नही हो सके हैं क्योंकि निदेशालय में भी कोई काम करने वाला नही था। जब इन सेवानिवृत लोंगो को नियुक्ति पत्र ही नही गये हैं तो फिर इन की सहमति/असहमति कब आयेगी और कब ये लोग सेवायें दे पायेंगे। फिर इनकी सेवायें 30 जुन तक ही ली जायेंगी। क्योंकि उससे आगे के बारे में इस आदेश में कोई जिक्र ही नही किया गया है ऐसे में यह भी स्वाल उठता है कि जो लोग दो साल, एक साल पहले सेवानिवृत होकर अपना आवास आदि छोडकर चले गये हैं वह अब इस जोखिम के समय तीन माह के लिये सेवा देने क्यों आयेंगे। यदि उन्हे कम से कम एक वर्ष की भी पुनर्नियुक्ति दी जाती है तो वह शायद आने का सोच लेते। ऐसे में सरकार ने यह आदेश जारी करके जनता में अपनी पीठथपथपाने से ज्यादा कोई प्रयास नही किया है। क्योंकि आजकल स्वास्थ्य मंत्री के आभाव में इस विभाग की जिम्मेदारी भी मुख्यमंत्री के ही पास है। ऐसे में यदि सरकार सही मायनों में स्थिति के प्रति गंभीर होती तो नये लोंगो को भर्ती करती और वह लोग नौकरी के लिये ततकाल प्रभाव से ज्वाईन भी कर लेते। लेकिन सरकार ने ऐसा नही किया है और इससे सारी गंभीरता का खुलासा हो जाता है।
यह है सरकार के आदेश