शाह के मुताबिक मोदी ने हिमाचल को 2,30,000 करोड़ दिया तो जयराम सरकार कर्ज क्यों ले रही है

Created on Monday, 13 May 2019 12:59
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। हिमाचल का चुनाव अन्तिम चरण में है। 2014 में भाजपा ने प्रदेश की चारों सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार भी इस जीत को बरकरार रखने की चुनौती है। इस चुनौती को पूरा करने के लिये प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमितशाह ने भी हिमाचल को समय दिया है। मोदी मण्डी और सोलन में रैलियां कर गये हैं। अमितशाह की रैलियां चम्बा बिलासपुर और सिरमौर में हुई हैं। अमितशाह ने अपनी रैलियों में आकड़े रखते हुए दावा किया है कि मोदी सरकार ने हिमाचल को 2,09,031 करोड़ दिये हैं। जबकि कांग्रेस ने 44235 करोड़, दिये थे। इसके अतिरिक्त एम्ज़, आई.आई.एम. और पर्यटन के लिये 2000 करोड़, बागवानी के लिये 1800, सड़क विस्तार के लिये 770, कृषि विकास के लिये 709 और रेलवे के लिये 15000 करोड़ दिये हैं। यदि इन सारे आंकड़ो को जोड़ा जाये तो यह राशी 20,009 करोड़ बनती है। शाह की रैलीयों के बाद भाजपा द्वारा प्रैस नोट में भी इन आंकड़ो का वाकायदा जिक्र है। यह आंकड़े आने के बाद यह सवाल उठना स्वभाविक है कि जब मोदी सरकार ने हिमाचल को अब तक 2,30,000 करोड़ दे दिया है तो फिर जयराम सरकार कर्ज क्यों ले रही है। क्योंकि अभी नये वित्त वर्ष के पहले ही महीने में प्रदेश सरकार ने 1100 करोड़ का कर्ज लिया है। यदि शाह द्वारा अपनी रैलीयों में परोसे गये आंकड़े सही हैं तब तो यह सवाल उठता है कि क्या जयराम सरकार कर्ज लेकर कोई बड़ा घोटाला कर रही है। क्योंकि शाह ने साफ कहा कि मोदी सरकार ने प्रदेश सरकार को यह पैसा दिया है जब केन्द्र सरकार ने यह पैसा दिया है तो निश्चित रूप से सरकार के खजाने में यह पैसा आया है और जब यह पैसा आया है तो जयराम सरकार को हिसाब भी प्रदेश की जनता के सामने रखना होगा।

जयराम सरकार कर्ज के सहारे चल रही है यह सार्वजनिक हो चुका है। प्रदेश का वित्त विभाग शाह द्वारा परोसे गये आंकड़ो की पुष्टि नही कर रहा है और यह पुष्टि न करने का अर्थ है कि यह आंकड़े पूरी तरह गलत हैं और केवल चुनावी लाभ लेने के लिये परोसे गये हैं ताकि प्रदेश की जनता इन पर विश्वास कर ले। क्योंकि मीडिया तो इन आंकड़ो की प्रमाणिकता की छानबीन करेगा नही और उसके ऐसा न करने के अपने कारण हैं। इन वित्तिय आंकड़ो की तरह ही प्रदेश को मिले 69 राष्ट्रीय राजमार्गो की स्थिति यह आंकड़े भी प्रदेश की जनता को लम्बे अरसे से परोसे जा रहे हैं। बल्कि राजमार्गो का खुलासा तो केन्द्रिय स्वास्थ्य मन्त्रा जगत प्रकाश नड्डा और नितिन गडकरी के बीच हुए पत्राचार के माध्यम से किया गया था। बल्कि जयराम के मन्त्री सैजल ने तो एक ब्यान में यहां तक कह दिया है कि इन राजमार्गों की डीपीआर अब तैयार करवाकर गडकरी से शिलान्यास भी करवा दिया है। जबकि प्रदेश उच्च न्यायालय में इन राजमार्गो को लेकर आयी एक याचिका पर जवाब दायर करके केन्द्र सरकार ने स्पष्ट मान लिया है कि यह राष्ट्रीय राजमार्ग अभी तक सैद्धान्तिक स्वीकृति के स्तर पर ही हैं।
इन आंकड़ो से स्पष्ट हो जाता है कि चुनावी लाभ लेने के लिये नेता जनता में कुछ भी बोल देते हैं। लेकिन क्या जनता भी मन्त्रीयों/नेताओं के परोसे आंकड़ो पर वैसे ही विश्वास कर लेती है जैसे यह बोलकर जाते हैं। शायद जनता विश्वास नही करती है और इसलिये हर भीड़ वोटर में तबदील नही होती है। आज की जनता नेता के ब्यानों की असलियत जमीन पर परखती है आज की जनता को पाकिस्तान और मुस्लिम का डर दिखाकर जयादा देर तक गुमराह नही किया जा सकता है। इसलिये यह माना जा रहा है कि जिस तरह हिमाचल की जनता ने 2014 में मोदी-भाजपा पर विश्वास करके चारों सीटें भाजपा को दे दी थी वैसा शायद इस बार नही हो पायेगा क्योंकि आज मोदी और शाह की विश्वनीयता पर ही सबसे अधिक प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं बल्कि शाह के परोसे आंकड़ो से जयराम और उनकी सरकार की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं क्योंकि इन आंकड़ो को यदि सरकार सही ठहराती है तो उसे जनता को यह बताना पड़ेगा कि वह कर्ज क्यों ले रही है।