दलित उत्पीड़न पर पुलिस की बेरूखी फिर आयी सामने

Created on Tuesday, 30 April 2019 05:55
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। दलित उत्पीड़न के मामलों मे पुलिस के व्यवहार को लेकर प्रायः बेरूखी और पक्षपात करने के आरोप लगते रहते हैं। पिछले दिनों नाहन का जिन्दान मामला इसका बड़ा तल्ख उदाहरण प्रदेश के सामने रहा है। अब राजधानी शिमला के उपनगर ढ़ली में एक दलित अमीचन्द के परिवार पर गुण्डों ने राॅड और डंडो से 23 अप्रैल रात दस बजे हमला कर दिया। इस हमले में अमीचन्द उसकी पत्नी और बेटी रितु तथा लड़के को गंभीर चोंटे आयी है। रितु का सिर फोड़ दिया गया हैं इस घटना की सूचना पीड़ित परिवार ने उसी रात को पुलिस को दे दी। पुलिस मौक पर आयी और हमला करने वाले रामदेव और मनीराम को गाड़ी में बैठाकर अपने साथ ले गयी। लेकिन पीड़ित परिवार की कोई सुध नही ली।
घायल लड़की रितु को उसके परिवार वाले ही अस्पताल लेकर गये। लेकिन अस्पताल में भी इनका ईलाज सही ढंग से नही किया गया। इनका आयुष्मान के तहत स्वास्थ्य कार्ड तक बना हुआ है लेकिन इस कार्ड का उपयोग तक नही करने दिया गया। इस घटना की एफआईआर लिखवाने 24 तारीख को रितु को बहन पुष्पा ढली थाना में गयी लेकिन उसकी एफआईआर नही लिखी गयी। जबकि पुलिस को 23 तारीख रात में ही सूचना मिलने और फिर घटनास्थल पर जाने के कारण स्वत ही प्राथमिकी दर्ज कर लेेनी चाहिये थी। लेकिन परिवार को एफआईआर लिखवाने के लिये आनलाईन शिकायत का माध्यम लेना पड़ा। इस मामले में 18 घन्टे बाद एफआईआर दर्ज की गयी। डीएसपी सिटी को भी इसकी शिकायत की गयी। फिर धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने ब्यान दर्ज करके अनुसूचित जाजि उत्पीड़न अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। लेकिन इस पर अभी तक न तो कोई कारवाई हुई है और न ही इन्हें एफआईआर की कापी उपलब्ध करवायी गयी है।
पुलिस की बेरूखी के कारण परिवार को इस मामले में पूर्व महापौर संजय चौहान की सहायता लेनी पड़ी है। संजय चौहान ने इस मामले में ढली पुलिस के कर्मीयों और आईजीएमसी के डाक्टरों जिन्होंने ईलाज में कोताही बरती है उन सभी के खिलाफ कारवाई की मांग की है। स्मरणीय है कि दलित उत्पीड़न के मामलों पर सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिकता विभाग के तहत एक कमेटी गठित है। इस तरह के मामले इस कमेटी के संज्ञान में लाये जाते हैं इन मामलों को वापिस लेने के लिये इस कमेटी से अनुमति लेनी पड़ती है। पिछले दिनों इस संबंध में सचिवालय में एक बैठक हुई थी। इस बैठक में डीजीपी भी शामिल थे। लेकिन इस बैठक में डीजीपी का जो स्टैण्ड था उसको लेकर कमेटी में विवाद हो गया था अधिकारी डीजीपी के स्टैण्ड से सहमत नही थे।