ऊना के कार कारोबारी तुषार शर्मा को 27.40 करोड़ की करअदायगी का नोटिस जारी

Created on Wednesday, 14 November 2018 11:01
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। ऊना के एक लग्ज़री कारों के व्यापारी तुशार शर्मा मान्टी को प्रदेश के आबकारी एवम् कराधान विभाग ने 27.40 करोड़ की कर अदायगी का नोटिस जारी किया है। विभाग ने यह कारवाई एक शिकायत की जांच करने के बाद की है। कारोबारी के खिलाफ एक कर चोरी की शिकायत आयी और इस पर विभाग ने छः टीमें बनाकर इसके विभिन्न प्रतिष्ठानों पर छापामारी की। इस छापामारी में 144 करोड़ के टर्नओवर और अपने तथा परिजनों के नाम कई परिसंपत्तियां बनाने का खुलासा सामने आया। यह खुलासा सामने आने के बाद 27.40 करोड़ का नोटिस भेजकर यह राशि एक माह के भीतर विभाग में जमा करवाने को कहा गया है। इस नोटिस के साथ ही विभाग ने जहां-जहां इस कारोबारी की परिसंपत्तियां चिन्हित हुई हैं वहां के तहसीलदारों को भी यह निर्देश दिये हैं कि वह इस कारोबारी की परिसंपत्तियों की तब तक बिक्री न होने दें जब तक की यह व्यक्ति सरकारी पैसे का पूरा-पूरा भुगतान नही कर देता है।
तुषार शर्मा प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य निदेशक आर.के.शर्मा के बेटे हैं और 2001-02 में इन्होंने ऊना के रक्कड़ काॅलोनी में मोटर वेज के नाम से अपना कारोबार शुरू किया था। उसके बाद 2002 में इन्होने हौण्डा, शैवरलेट और टोयटा की ऐजैन्सीयां ले ली। ऊना, कांगड़ा के नगरोटा बगवां, हमीरपुर और सोलन तक अपना कारोबार फैला लिया। इसी बीच एक तेल निर्माण का उद्योग भी स्थापित कर लिया। तुशार शर्मा के कांग्रेस और भाजपा दोनों के कई बड़े नेताओं से बहुत ही करीबी रिश्ते रहे हैं। बल्कि एक समय प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती के भतीजे ऊमंग ठाकुर ने भी इन्हे काफी सहयोग प्रदान किया है। बल्कि एक बार जब इनकी गाड़ीे से एक बच्चा टकराकर जख्मी हो गया था और आपराधिक मामला दर्ज होने की नौबत आ गयी थी तब इन्हीं राजनीतिक संपर्काें के चलते एक लाख देकर इस मामले को रफा-दफा किया गया था।
इस परिदृश्य में अब यह सवाल उठता है कि विभाग ने शिकायत आने के बाद तो यह कारवाई करते हुए नोटिस दे दिया जिसका सीधा सा अर्थ है कि यदि अब भी शिकायत न आती तो शायद अभी तक कुछ न होता। यहां पर कारोबारी से ज्यादा तो विभाग की अपनी कारवाई पर सवाल खड़े हो जाते हैं। क्योंकि जो अदायगी गाड़ी की ऐजैन्सी लेकर उसकी खरीद-फरोख्त का काम कर रहा है वह अपनी बिक्री को छिपा कैसे सकता है क्योंकि जो गाड़ियां आ रही हैं वह निश्चित रूप से रिकार्ड पर दर्ज होंगी। जब दूसरे प्रदेश से यहां प्रदेश में सामान आता है तब वह बैरियर पर दर्ज होता है और यह कारवाई यही कराधान विभाग करता है। फिर जब गाड़ी बिकती है तब भी वह सरकार के रिकार्ड पर आती है। ऐसे में यदि आज विभाग के मुताबिक इतनी टैक्स की चोरी पकड़ी गयी है तब क्या विभाग ने अपने यहां इसकी जांच पड़ताल की कि उसके संज्ञान में यह सब पहले क्यों नही आया? क्या इसमें विभाग की कार्यप्रणाली पर अपने मे ही सवाल खड़ेे नहीं होते है? क्या कहीं ऐसा तो नही है कि कुछ बड़े लोगों ने भी इस कारोबारी से गाड़ियां खरीदी हैं और उसमें उन्हें काफी रिवेट दे दिया गया हो। विभाग ने अभी कर अदायगी का नोटिस ही जारी किया है। इस नोटिस का जवाब देकर इसको चुनौती भी दी जा सकती है विभाग के आकलन पर सवाल उठ सकते हंै। फिर कारोबारी ने यह कर अदा करने से अभी तक मना नही किया है। ऐसे में विभाग द्वारा कराधान अधिनियम के प्रावधानों का सहारा लेकर कारोबारी और उसके परिजनों की सम्पतियों की बिक्री पर रोक लगा दिये जाने को अलग ही अर्थों में देखा जा रहा है। वैसे अभी तक संबंधित क्षेत्रों के तहसीलदार कार्यालयों में ऐसे निर्देश पहुंचने की पुष्टि नही हो पायी है।