शिमला/शैल। प्रदेश में अवैध भवन निर्माण एक बहुत बड़ी समस्या बन गये हैं। प्रदेश उच्च न्यायालय नैशनल ग्रीन ट्ब्यिनल और सर्वोच्च न्यायालय तक ने इसका कड़ा संज्ञान लेते हुए इसके खिलाफ कारवाई के निर्देश जारी किये हैं। यही नहीं इन निमार्णों के लिये जिन संवद्ध विभागों के अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदार रहे हैं उन्हें भी चिन्हित करके उनके खिलाफ कारवाई किये जाने के निर्देश दिये हैं और उनकी सूची तक अदालत में तलब की है। इन अवैध निमार्णों में आवासीय भवनों से ज्यादा तो होटल इसके दोषी पाये गये हैं। सैंकड़ों होटलों के अवैधताओं के चलते बिजली पानी के कनैक्शन काट दिये गये हैं। यह अवैध निर्मित होटल वैध कमाई का साधन बने हुए हैं। यह अवैध निर्माण संवद्ध प्रशासन के परोक्ष-अपरोक्ष सहयोग के बिना संभव नही हो सकते हैं। इन्ही आरोंपों को लेकर शिमला के होटल लैण्डमार्क को लेकर एक डॉ. पवन कुमार बंटा ने प्रदेश उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका में होटल मालिक विनोद अग्रवाल के साथ प्रदेश सरकार टी सी पी तथा नगर निगम शिमला व उसके कुछ अधिकारी और बिजली बोर्ड के अधिशासी अभियन्ता को प्रतिवादी बनाया गया है। आरोप है कि इन सभी विभागां ने इस होटल निर्माण में हुई अवैधताओं के प्रति औखें मूंद कर सहयोग दिया है।
इस होटल निर्माण में अवैधताओं का पहला आरोप है कि इनसे जान बूझकर नगर निगम ने पॉर्पटी टैक्स पूरा नही वसूला है और जब यह उसके संज्ञान में आ गया उसके बाद भी इसे वसूलने के प्रयास नही किये गये। दूसरा आरोप पानी के कनैक्शन को लेकर है। इसमें अलग-अलग नामों के कई कनैक्शन दिये गये। जो कनैक्शन निर्माण के लिये दिया गया था न तो उसे निर्माण पूरा होने के बाद काटा गया और न ही नये सिरे से जारी किया गया। यही नही इस पर नगर निगम ने आर टी आई के तहत यह जवाब दिया है कि प्लानिंग एरिया में पानी कनैक्शन के लिये कोई नियम नीति ही नही है। तीसरा आरोप वैनक्वैट हॉल को लेकर है इसमें प्रवेश और निकासी के लिये केवल एक ही मार्ग है जबकि नियमों के मुताबिक दो होने चाहिये थे। ऐसे में इसे होटल चलाने का एन ओ सी कैसे जारी हो गया। इसके साथ ही होटल के सबसे उपर बने पार्क को लेकर है। इस पार्क के रखाव का खर्च नगर निगम कर रहा है। जिसका लाभ बच्चों के खेलने के लिये कम और होटल को ज्यादा मिल रहा है। क्योंकि इसमें प्रवेश के दो रास्ते दे दिये गये है। इसी तरह जो ट्रांसफार्मर बिजली के लिये लगाया है वह वन विभाग की ज़मीन पर बिना एन ओ सी लिये लगा दिया गया है और बिजली बोर्ड इस पर चुप्प बैठा है।
याचिका में कहा गया है कि इतनी सारी अवैधताओं का एक साथ पाया जाना निश्चित रूप से यह संकेत देता है कि यह सब संवद्ध प्रशासन के सहयोग के बिना संभव नही हो सकता। इस याचिका पर उच्च न्यायालय का रूख क्या रहता है इस पर निगाहें लगी हैं।