शिमला/शैल। दस जून को दूरदर्शन केन्द्र शिमला में सुबह ही सीबीआई की टीम का दस्तक देना इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। जैसे ही सीबीआई टीम के दूरदर्शन केन्द्र में पहुंचने की खबर फैली इसी के साथ पूरे मीड़िया का ध्यान केन्द्रित हो गया। ऐसा होना स्वाभाविक था। इसके कारण जो समाचार प्रकाशित हुए उनमें इस दस्तक देने को रेड का नाम मिल गया। रेड के कारणों तक की चर्चा हो गयी। इस चर्चा से दूरदर्शन केन्द्र का प्रबन्धन कुछ विचलित होने के कारण एक स्पष्टीकरण जारी हुआ है। इस स्पष्टीकरण में सीबीआई की दस्तक को औचक निरीक्षण कहा गया है। यह भी हो गया कि सीबीआई की टीम के साथ प्रसार भारती के अधिकारी भी शामिल थे।
स्पष्टीकरण में इस केन्द्र पर लगे रहे अनियमितताओं घूसखोरी और झूठे बिल बनाये जाने के आरोपों को निराधार करार दिया गया है। लेकिन यह भी साथ ही कहा गया है कि‘‘यह औचक निरीक्षण पंजाब के दो डिस्ट्रीब्ूयटर्ज की आपसी रंजिश से पैदा हुई शिकायतों पर आधारित थी और सीबीआई टीम इन्ही कंपनियों से संबधित दस्तावजों की जांच के लिये आयी थी और उन्ही से संबधित दस्तावंेजो को जांच के लिये लेकर गयी है।
इस स्पष्टीकरण के मुताबिक दो डिस्ट्रीब्यूटरों को लेकर कोई शिकायत थी। स्वाभाविक है कि जब संबधित विभाग में इनसे जुडी़ शिकायतों पर कोई करवाई नही की गयी होगी तब इसकी शिकायत सीबीआई के पास गयी होगी।
सीबीआई किसी भी विभाग के प्रशासनिक निरीक्षण के लिये नही जाती है क्योेंकि हर विभाग के प्रशासनिक निरीक्षण की जिम्मेदारी उसके अधिकारीयों की रहती है। सीबीआई तो तभी हरकत में आती है जब विभाग को लेकर कोई वित्तिय अनियमितताओं के आरोप लगें। आरोप तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाते है कि कितने प्रमाणिक थे और प्रमाणित हो पाये है। इस संद्धर्भ में भी अभी तक कोई जांच रिपोर्ट तो सामने आयी नही है। यह भी स्वाभाविक है कि जिसके खिलाफ आरोप लगते हंै वह कभी भी जांच परिणाम आने से पहले अपने को दोषी नही मानता है इस संवध में आया स्पष्टीकरण अपरोक्ष में आरोपों की स्वीकारोक्ति ही बन जाता है।
इसलिये दूरदर्शन कर्मियों की ओर से आया स्पष्टीकरण आज हर कहीं चर्चा का विषय बना हुआ है।