नगर निगम के महापौर और उपमहापौर के चुनाव में विधायकों को मतदान का अधिकार देने का क्या औचित्य ?

Created on Friday, 01 December 2023 13:07
Written by Shail Samachar

कई बार क्षणिक लाभ के लिये हम ऐसे निर्णय ले लेते हैं जिनके परिणाम दूरगामी होते हैं और इसके कारण या तो बाद में निर्णय बदलना पड़ता है या ऐसे निर्णय के दुष्प्रभाव का सारी व्यवस्था पर असर पड़ता है। हाल ही में हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक ऐसा निर्णय लिया है जिसमें लगता है कि शायद उस के दूरगामी प्रभावों पर विचार नहीं किया गया है।
इस निर्णय के अनुसार नगर निगमों के महापौर और उपमहापौर के चुनाव में स्थानीय विधायकों को भाग लेने और मतदान करने का अधिकार दिया गया है, शायद यह निर्णय कानून की कसौटी पर सही नहीं उतरेगा।
इस निर्णय के परिणामस्वरूप यदि महापौर और उपमहापौर के चुनाव में विधायकों को मतदान का अधिकार होगा तो फिर क्या जब नगर परिषदों, नगर पंचायतों, जिला परिषदों, पंचायत समितियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होगा तो उस में भी विधायकों को मतदान का अधिकार होगा ? क्या विधान सभा का चुनाव जीत कर विधायक को विधान सभा के अतिरिक्त स्थानीय निकायों ओर पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में मतदान का
अधिकार मिल जायेगा ?
इसी के आधार पर सांसदों को यह अधिकार होगा कि उनके चुनाव क्षेत्र में आने वाले सभी नगर निगमों, नगर परिषदों, नगर पंचायतों, जिला परिषदों, पंचायत समितियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव में सांसद भी अपने मत का प्रयोग कर सकेंगे । फिर मामला केवल पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों के मुखिया चुनने तक ही सीमित नहीं होगा फिर सांसद को अपने राज्य में मुख्यमन्त्री के चुनाव में मतदान करने का अधिकार मांगने से कैसे रोका जा सकेगा और यह प्रश्न केवल एक राज्य तक सीमित नहीं होगा, राष्ट्रीय स्तर पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।
इसीलिये मैंने कहा कि क्षणिक लाभ के लिये दूरगामी परिणामों वाले निर्णय लेने में पूरा विचार विमर्ष होना चाहिए। एक दो नगर निगमों के महापौर और उपमहापौर के चुनाव के लालच के साथ साथ प्रदेशव्यापी और राष्ट्रव्यापी परिणामों को भी ध्यान में रखना चाहिए।
ऐसे निर्णय तर्कसंगत नहीं होते, संविधान निर्माताओं ने इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुये नेता अर्थात प्रधानमन्त्री (सरकार का मुखिया) का चुनाव करने का अधिकार केन्द्र में केवल लोक सभा के सांसदों को दिया है, राज्य सभा के सांसदों को यह अधिकार नहीं है। इसी प्रकार प्रदेश
सरकार का मुखिया, मुख्यमन्त्री विधान सभा के विधायक चुनते हैं विधान परिषद सदस्यों को यह अधिकार नहीं है ।
इसलिये नये आदेशानुसार चुने गये महापौर और उपमहापौर का चयन क्या कानून की कसौटी पर न्यायालय में टिक पायेगा ? यह महत्वपूर्ण प्रश्न रहेगा।

प्रेम कुमार धूमल,
पूर्व मुख्यमन्त्री, हिमाचल प्रदेश,
समीरपुर, जिला हमीरपुर (हि0प्र0)