राजनीतिक स्वार्थों के आगे बौना पड़ गया दलबदल कानून

Created on Wednesday, 06 December 2017 05:43
Written by Shail Samachar

 

शिमला/शैल। भाजपा वीरभद्र सरकार को अस्थिर करने के लिये पूरे कार्यकाल में प्रयासरत रही है। भाजपा के यह प्रयास सफल नही हो पाये हैं। लेकिन सरकार के इस कार्यकाल के अन्त पर जो फैंसला विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल ने 23 सितम्बर 2017 को दिया है उसने भाजपा के राजनीतिक शुचिता के सारेे दावों पर एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। स्मरणीय है कि 2012 में चार निर्दलीय विधायक जीतकर सदन में आये थेे और यह सब कांग्रेस के ऐसोसिएट सदस्य बन गये थे। इनके ऐसोसिएट सदस्य बननेे के खिलाफ भाजपा ने अपने मुख्य सचेतक सुरेश भारद्वाज के माध्यम से इनके खिलाफ 2014 में विधानसभा अध्यक्ष के पास एक याचिका दायर की थी। इस याचिका को एक तार्किक निर्णय तक पंहुचाने के लिये भाजपा और कांग्रेस ने जो कुछ किया है उसे  देखते हुए दल-बदल कानून को लेकर ही धारणा बदल जाती है। क्योंकि निर्दलीय विधायकों के मामले में तो स्थिति ही बहुत सरल है। निर्दलीय विधायक यदि पासा बदलता है तो उसके पासा बदलने का प्रमाण उसका अपना ब्यान और आचरण ही काफी होना चाहिये। लेकिन 23 सितम्बर को स्पीकर बुटेल ने सुरेश भारद्वाज की याचिका को सबूतों के अभाव में खारिज कर दिया।
निर्दलीय विधायकों ने वीरभद्र की सरकार बनने के बाद इस सरकार को अपना समर्थन देने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद आगे चलकर यह कांग्रेस के ऐसोसिएट सदस्य के रूप में चलते रहे। भाजपा ने 2014 में इसीे आधार पर इनके खिलाफ याचिका डाली थी। आरोप लगाया था कि इन विधायकांे ने संविधान के दसवें शेडयुल के पैरा 2.2. का उल्लंघन किया है। इस आरोप के साथ ही इनके प्रैस ब्यान की फोटो कापी भी साथ लगाई गयी थी। इस प्रैस ब्यान का इन विधायकों ने कभी भी खण्डन नही किया है। लोकसभा चुनावों के दौरान इन निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस के लियेे काम किया। कांग्रेस के साथ मंच संाझा किये और इस सबकी सीडी बनाकर स्पीकर को दी गयी। लेकिन स्पीकर ने इस सबको पर्याप्त सबूत नही माना।
यदि इन निर्दलीय विधायकों के खिलाफ फैसला आ जाता तो निश्चित तौर पर वीरभद्र की सरकार अस्थिर हो जाती। संभवतः इसी राजनीतिक स्वार्थ के चलते स्पीकर इस याचिका को लंबित रखते रहे। लेकिन जब 23 सितम्बर को स्पीकर ने यह फैंसला कर दिया तब तो इनमें से दो विधायक चैपाल से बलवीर वर्मा और इन्दौरा से मनोहर धीमान चुनावों के मद्देे नज़र फिर पाला बदल कर भाजपा में शामिल होने की घोषणा कर चुके थे। बलवीर वर्मा मार्च 2017 में चैपाल में एक जनसभा में भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती और नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल की मौजूदगी में अपनेे चैपाल विकास मंच सहित भाजपा में शामिल हो चुके थे। मनोहर धीमान भाजपा की परिवर्तन रैली के दौरान जून 2017 में ज्वाली में केन्द्रिय स्वास्थ्य मन्त्राी जगत प्रकाश नड्डा की मौजूदगी में भाजपा में शामिले हो चुके थे। लेकिन इस तथ्य को अध्यक्ष ने स्वीकार नही किया। क्योंकि उनके सामने इसे रखा ही नही गया। यह दोनों क्योंकि भाजपा में शामिल हो चुके थे इसलिये सुरेश भारद्वाज ने भी पार्टी हित से बन्धे होने के कारण इस तथ्य को स्पीकर के सामनेे नही रखा।
निर्दलीय विधायकों को लेकर आयी यह याचिका सबूतों के अभाव में खारिज हो गयी है। लेकिन इस याचिका पर आयेे फैंसले ने यह प्रमाणित कर  दिया है कि राजनीतिक स्वार्थों के आगे सारे नियम कानून बौने पड़ जाते हैं।