प्रिंयका गांधी मामलें में वीरभद्र सरकार ने बदला स्टैण्ड

Created on Tuesday, 21 March 2017 14:29
Written by Shail Samachar

डीसी शिमला से आरटीआई में आयी सूचना बाहर

शिमला/शैल।
प्रियंका गांधी वाड्रा को हिमाचल सरकार से 10.08.2007 को पत्र संख्या Rev.BF(10)-284/2007 को 0-31-84 है. और 29.7.2011 को पत्र संख्या Rev.BF(10)- 283/2011 को 0.92.22 है. और वर्ष 2013 में 0.94.46 है. जमीन खरीद की अनुमतियां मिली है। यह जमीन रिट्रीट के साथ सटी है जहां गर्मीयों में राष्ट्रपति/प्रधानमन्त्री कभी अवकाश बिताने आते हैं। ऐसे स्थलों पर किसी अन्य व्यक्ति को सुरक्षा कारणों से जमीन खरीद की अनुमति अक्सर नही दी जाती है। प्रिंयका गांधी भी सुरक्षा के उसी दायरे में हैं  लेकिन रिट्रीट के साथ जमीन खरीद की अनुमति पर सवाल उठ गये। दिल्ली के आरटीआई एक्टिविस्ट देवाशीष भट्टाचार्य ने इस खरीद की सूचना आर टी आई के तहत मांग ली। उन्हे सुरक्षा कारणों से यह जानकारी देने से इन्कार कर दिया गया। मामला सूचना आयोग तक पहुंचा। आयोग ने सूचना दिये जाने के आदेश कर दिये। लेकिन उसी दौरान सूचना दिये जाने पर प्रदेश उच्च न्यायालय से स्टे हासिल कर लिया गया था। सूचना आयोग का फैसला उच्च न्यायालय की अवमानना बन गया और परिणाम स्वरूप दोनों सूचना आयुक्तों ने उच्च न्यायालय में इसके लिये खेद व्यक्त किया। यह पूरा मामला आज भी उच्च न्यायालय में लंबित है।
लेकिन इसी बीच देवाशीष भट्टाचार्य ने 20.6.16 को सी बीआई के पास इस संद्धर्भ में एक शिकायत दायर कर दी। इस शिकायत पर कारवाई हुए सीबीआई ने यह शिकायत निदेशक लैण्ड रिकार्ड को भेज दी। डायरैक्टर लैण्ड रिकार्ड ने इसे डीसी शिमला को भेज दिया। डीसी शिमला ने इस पर कारवाई करते हुए इस खरीद से जुडी सारी जानकारी डायरैक्टर लैण्ड रिकार्ड को भेजते हुए उसकी कापी सी बीआई और देवाशीष भट्टाचार्य को भी भेज दी। देवाशीष इस जमीन खरीद की अधिकारिक सूचना ही मांग रहे थे जो उन्हे अब इस माध्यम से मिल गयी है। इस सूचना के बाद इससे जुडे अगले सवाल क्या और कब उठाये जाते हैं यह सब आगे सामने आयेगा। लेकिन इस सूचना को न देने के लिये जो लडाई लडी गयी उसमें सचिव राजस्व और डीसी शिमला को भी उच्च न्यायालय में देवाशीष के साथ पार्टी बनाया गया था। ऐसे में अब यह सूचना बाहर आने से और वह भी डीसी शिमला के हस्ताक्षरों से जो अदालत में स्वयं एक पार्टी हैं सवाल उठना स्वभाविक है कि क्या वीरभद्र सरकार ने प्रिंयका गांधी वाड्रा के मामलें में अपना स्टैण्ड बदल लिया है। इस मामले में आने वाले समय में प्रदेश उच्च न्यायालय क्या संज्ञान लेता हैै इस पर सबकी निगांहे लगी हैं। क्योंकि सूचना आने से यह माना जा रहा है कि सरकार जानबूझ कर इस मामले को लम्बा कर रही थी।