शिमला/शैल। आठ नवम्बर को लागू हुई नोटबंदी के तहत 500 और 1000 रूपये के नोटों का चलन बन्द कर दिया गया था। इसके बाद इन पुराने नोटों को बैंक में जाकर बदलवाने या अपने खाते में जमा करवाने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नही था। इसके लिये सरकार ने 30 दिसम्बर तक का वक्त दिया था। इसके बाद 31 मार्च तक इन पूराने नोटों को रिर्जव बैंक की चिन्हित शाखाओं में ही जमा करवाया जा सकता है। 30 दिसम्बर तक करोड़ो खातों में यह नोट जमा हुए हैं। 31 मार्च तक और समय है लेकिन इसके वाबजूद कुछ लोगों ने यह समय सीमा बढ़ाये जाने के लिये सर्वोच्च न्यायालय में दस्तक दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने इन याचिकाओं पर केन्द्र सरकार से जबाव मांगा था। इस पर केन्द्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इसमें समय बढ़ाने के हक मेें नही है। सर्वोच्च न्यायालय में यह याचिकाएं आने से यह स्पष्ट हो जाता है कि कुछ लोगों के पास अभी पुराने 500 और 1000 के नोट है। इस वस्तुस्थिति को सामने रखते हुए सरकार ने एक बार फिर प्रधानमन्त्री गरीब कल्याण योजना के तहत 50% टैक्स और 25% तक चार वर्ष के लिये बिना ब्याज के इस योजना में निवेश करने का मौका दिया है यह खुलासा प्रदेश के प्रधान चीफ कमीश्नर ने एक पत्रकार वार्ता में किया है।
इस वार्ता में यह भी खुलासा हुआ कि प्रदेश में 30 दिसम्बर तक हजारों की संख्या में पुराने नोट जमा करवाये गये हैं। इनकी कुल संख्या और जमा करवाने वालों की कुल संख्या का अभी तक आंकलन किया जा रहा है। लेकिन इसमें जिन लोगों ने 15 लाख और इससे अधिक की राशी जमा करवाई है ऐसे लोगों से उनकी आय का स्त्रोत पूछा जा रहा है। इसके लिये विभाग ने वाकायदा लोगों को नोटिस भेजे हैं। विभाग द्वारा भेजे गये नोटिसों पर अभी तक 550 लोगों का जबाव नही आया है। माना जा रहा है कि इन लोगों में ऐसे भी हैं जिन्होनें एक करोड़ या इससे भी अधिक पैसा जमा करवाया हैं। शिमला में भी ऐसे लोग हैं जिन्होने इस तरह का पैसा जमा करवाया है। जनधन खातों के माध्यम से भी कुछ लोगों द्वारा भारी संख्या में पैसा जमा करवाये जाने भी संभावना है। कोई व्यक्ति अपने घर में कितना कैश रख सकता है इसको लेकर कोई सीमा तय नही है। इसमें केवल यही आवश्यकता है कि ऐसे कैश का वैध स्त्रोत होना चाहिए। इसे संबधित व्यक्ति की आयकर रिर्टन के साथ मिलाकर फैसला लिया जायेगा। इसमें उन लोगों के लिये थोडी कठिनाई आ सकती है जिन्होने अपनी आय का स्त्रोत कृषि या बागवानी बता रखा है। क्योंकि कृषि और बागवानी से होने वाली आय पर कोई इन्कम टैक्स नही लगता है।
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के सहकारी बैंक के माध्यम से 500 और 1000 के 653 करोड़ के पुराने नोट जमा हुए है। इसमें अकेले सोलन में ही 153 करोड़ जमा हुए है शिमला, चम्बा, मण्डी, किन्नौर आदि सेब उत्पादक क्षेत्रों में राज्य सहकारी बैंक की शाखाएं दूसरे बैंकों से कहीं ज्यादा हैं और इन सबमें करोड़ो के हिसाब से पुराने नोट जमा हुए हैं। इनके कई खाता धारकों को आयकर विभाग के नोटिस मिल चुके हैं। जिनमें से कई लोगों ने अभी तक जबाब दायर नहीं किये हैं। सूत्रों की माने तो बहुत सारे लोगों के पास सेब/फल बेचने और इस आधार पर दिखायी गयी आय को प्रमाणित करने के वैध दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। कुछ मामलों में सेब आढतियों/कमीशन ऐजैन्टों के पास भी उचित रिकार्ड उपलब्ध नही है। ऐसे मामलों में कभी भी बड़ी कारवाई की संभावना से इन्कार नही किया जा सकता। शिमला में पिछले दिनों जिन सोना व्यापारियों का रिकार्ड खंगालने आयकर विभाग की टीेम ने दस्तक दी थी। सूत्रों के मुताबिक उनके खंगाले गये दस्तावेजो में सोने की खरीद और बेच के रिकार्ड में काफी अन्तर पाया गया है। चर्चा है कि एक ज्वैलर के पास 20 करोड़ की खरीद/बेच के जो दस्तावेज मिले हैं उनकी प्रमाणिकता को लेकर गंभीर सवाल खडे हो गये है। इस खरीद/बेच का संबध प्रदेश के दो राजनेताओं और कुछ बड़े अधिकारियों के साथ जोड़ा जा रहा है। पुराने नोटों के जमा करवाये जाने के साथ ही बेनामी संपत्तियों को लेकर भी बड़े पैमाने पर कारवाई चल पडी है। इसमें भी कई लोगों को नोटिस जारी हो चुके हैं।