शिमला/शैल। आय से अधिक संपति मामलें में सीबीआई की जांच झेल रहे मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ ऐजैन्सी कभी भी अदालत में चालान दायर कर सकती है कि स्थित आ गयी है। क्योंकि इस मामलें में नामजद वीरभद्र सिंह, प्रतिभा सिंह, आनन्द चैहान और चुन्नी लाल से सीबीआई पूछताछ का सिलसिला पूरा कर चुकी है। इन चारों के अतिरिक्त विक्रमादित्य सिंह और अपराजित कुमारी से बतौर गवाह पूछताछ हो चुकी है। इस मामले में वीरभद्र सिंह और प्रतिभा सिंह की गिरफतारी पर जो रोक हिमाचल हाईकोट ने लगाई थी वह दिल्ली उच्च न्यायालय में इस प्रकरण स्थानान्तरित होने के वाबजूद भी यथास्थिति जारी है। आनन्द चैहान और चुन्नी लाल ने भी हिमाचल उच्च न्यायालय में एक याचिका डालकर वीरभद्र प्रतिभा सिंह की तर्ज पर ही राहत की गुहार लगाई थी। लेकिन जब इस याचिका की हिमाचल उच्च न्यायालय में मेनटेनेविलिटि का प्रश्न आया तब यह याचिका वापिस ले ली गयी। इसके बाद आनन्द चैहान और चुन्नी लाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय में ऐसी याचिका नही डाली है। इसी तर्ज पर विक्रमादित्य और अपराजिता ने भी दिल्ली उच्च न्यायालय में सीबीआई द्वारा गिरफतारी की आश्ंाका जताते हुए अपनी संभावित गिरफ्रतारी पर रोक लगाने की गुहार लगायी थी। इस याचिका पर सीबीआई ने अपने जवाब में स्पष्ट कर दिया था कि इन्हें बतौर अभियुक्त नही बल्कि बतौर गवाह बुलाया गया है और ऐसे में इनकी गिरफतारी की कोई संभावना नही है।
इस तरह इस मामले की जांच की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चूकी है। लेकिन इसका चालान अदालत में डालने के लिये भी अदालत की अनुमति वांच्छित है क्योंकि उच्च न्यायालय में ऐसे निर्देश हैं।इन निर्देशों की अनुपालना करते हुए सीबीआई ने उच्च न्यायालय में याचिका डाल दी है जिसकी सुनवाई तीन जुलाई को होगी। माना जा रहा है कि इसके बाद इस मामले में जुलाई में ही चालान अदालत में पंहुच जायेगा और उसके बाद इसमें आरोप तय होने की स्थिति आ जायेगी। लेकिन कुछ हल्कों में यह भी चर्चा है कि जैसे ही अदालत इस चालान का संज्ञान लेगी तभी वीरभद्र इस संज्ञान को उच्च न्यायालय में चुनौती देकर आरोप तय होने को कुछ समय के लिये और टालने में सफल हो जायेंगे। परन्तु कुछ का यह भी मानना है कि इस पूरे मामले को मोटे तौर पर सर्वोच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय पहले देख चुके हैं। इसी कारण अब इस मामले का और लटकना संभव नहीं होगा।
दूसरी ओर सीबीआई और ईडी सूत्रों के मुताबिक सीबीआई का चालान अदालत में पहुचने के बाद ईडी में पूछताछ की प्रक्रिया शुरू होगी। ईडी पहले ही इस प्रकरण में वीरभद्र, प्रतिभा सिह, विक्रमादित्य और अपराजिता की करीब आठ करोड़ की चल-अचल संपति अटैच कर चुकी है। ईडी में वीरभद्र और प्रतिभा सिंह अभी तक एक भी बार पेश नही हुए हैं। केवल एक बार अपने वकील के माध्यम से कुछ दस्तावेज भेजे थे ईडी ने जो संपति अटैच की है उसका आधार आनन्द चैहान के खातों में कैश जमा होना, इसके लिये चुन्नी लाल मेघ राज शर्मा और कनुप्रिया राठौर का सहयोग लिया जाना तथा इस कैश से एलआई सी की पालिसीयां लेना और पालिसीयों को भुनाकर अचल संपति में निवेश करना रहा है। लेकिन इस पैसे के अतिरिक्त वीरभद्र परिवार के पास वक्कामुल्ला चन्द्र शेखर से भी पैसा आया है। इस पैसे को वक्कामुल्ला से लिया गया मुक्त ऋण दिखाया गया है। ईडी में वक्कामुल्ला से आये पैसे को लेकर अभी तक जांच चल रही है। क्या वक्कामुल्ला के पास इतना ़़ऋण देने के अपने साधन थे? या यह पैसा भी वीरभद्र का अपना ही पैसा था जिसे निवेश में लाने के लिये वक्कामुल्ला को साधन बनाया गया। ईडी सूत्रों के मुताबिक वक्कामुल्ला के पास अपने इतने साधन नही थे। अब ईडी इस पक्ष की खोज कर रही है कि क्या इसके लिये अकेले वक्कामुल्ला का ही प्रयोग हुआ है या इसमें चुन्नी लाल और मेघ राज शर्मा की तरह और लोग भी शामिल रहे है। यदि सत्रों की माने तो ईडी ने इस संद्धर्भ में करीब एक दर्जन लोगों को चिन्हित कर रखा है और अब उनसे पूछताछ का दौर शुरू होगा। जानकारों के मुताबिक ईडी का मामला सीबीआई से ज्यादा गंभीर और इसमें कई अप्रत्याशित खुलासे आने वाले दिनों में देखने को मिल सकते हैं।