अगले मुख्यसचिव को लेकर अभी तक तस्वीर साफ नही

Created on Sunday, 15 May 2016 12:40
Written by Baldev Sharma

शिमला/शैल। प्रदेश के वर्तमान मुख्य सचिव 31 मई को सेवानिवृत हो रहे हैं । इस नाते प्रदेश के अगले मुख्य सचिव को लेकर प्रशासनिक और राजनीतिक हल्कों में इन दिनों अटकलों और चर्चाओं का दौर चला हुआ है। यहअटकलें इसलिए हैं कि सेवानिवृत हो रहे पी.मित्रा के बाद वरियता क्रम यह लोग हैं सर्व श्री दीपक सानन, अजय मित्तल, विनित चौधरी, उपमा चौधरी डा.आशा राम सिहाग और वी सी फारखा। अजय मित्तल ने भारत सरकार में सूचना एंवम प्रसारण मन्त्रालय में सचिव का पदभार संभाल लिया है इसलिये उन्हें इस रेस से बाहर माना जा रहा है। दीपक सानन के खिलाफ एचपीसीए मामले में अभियोजन की स्वीकृति सरकार बहुत अरसा पहले जारी कर चुकी है और वह अभी तक यथास्थिति बनी हुई है। सानन एचपीसीए के उसी मामले में अभियुक्त नामजद है जिसमें पूर्व मुख्यमन्त्री प्रेम कुमार धूमल भी नामजद है। सानन को मुख्यसचिव बनाने के लिये यह मामला वापिस लेना पडता है। सानन के खिलाफ मामला वापिस लेने की सूरत में प्रेम कुमार धूमल के खिलाफ भी मामला लगभग खत्म ही हो जाता है। अभी मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सेवा निवृत हुए निदेशक सूचना एंवम जन संपर्क डा. एम.पी.सूद को सेवा विस्तार देने के लिये इस कारण से इन्कार कर दिया क्योंकि उनके खिलाफ भी विजिलैन्स ने उसी मामले में अभियोजन की स्वीकृत मांग रखी है। जिसमें ए.एन. शर्मा भी अभियुक्त नामजद है। डा. सूद के खिलाफ मामला वापिस लेने से ए. एन.शर्मा के खिलाफ भी मामला कमजोर पड़ जाता। ऐसे परिदृश्य में सानन को बनाने से धूमल के खिलाफ मामला कमजोर करने का जोखिम वीरभद्र उठा पायेगें ऐसा लगता नही है।
सानन के बाद विनित चौधरी की बारी आती है। उनकोे दो बार कार्यवाहक मुख्य सचिव की जिम्मेदारी वीरभद्र सौंप चुके हैैं। उनके खिलाफ दिल्ली के ऐम्ज का जो मामला चर्चा में है उसमें अभी तक कोई एफ.आई.आर. दर्ज नहीं हेै । ऐम्ज के तत्कालीन सीबीओ संजीव चुर्तवेदी के माध्यम से जो पत्र प्रदेश सरकार को एक समय आया था उस पत्र को सीबीसी निरस्त कर चुके है। ऐसे में चौधरी के खिलाफ भी प्रदेश सरकार के रिकार्ड पर कुछ नही है। विनित के बाद उपमा चैधरी है और वह बिल्कुल पाक साफ है। उपमा के बाद डा. सिहाग हैं जो इस समय केन्द्र में है उनके बाद वीसी फारखा आते हैं। फारखा मुख्यमन्त्री के प्रधान सचिव भी है और उनके खिलाफ भी रिकार्ड पर कुछ नही है। भले ही सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता विनय शर्मा ने एचपीसीए के खिलाफ आरटीआई में कुछ जानकारियां जुटाकर अदालत में जिन लोगों के खिलाफ इस प्रकरण में मामला दर्ज करने की गुहार लगायी थी उनमें फारखा का नाम भी शामिल था। फारखा के पास धूमल के शासन काल से लेकर वीरभद्र के शासनकाल में भी लम्बे समय तक युवा सेवाएं एंवय खेल विभाग की जिम्मेदारी रही है इस जिम्मेदारी के नाते स्वाभाविक है कि वह धमूल और अनुराग के भी विश्वस्त रहेे हांेगे। बल्कि विजिलैन्स के हल्कों में तो यह आम चर्चा है कि एचपीसीए और धूमल के मामलों में इन्ही संबधों के कारण सरकार से अपेक्षित सहयोग नही मिल रहा है। आज मुख्यमन्त्री के प्रधान सचिव होने के नाते वह उनके विश्वस्त है और इसी विश्वस्तता के आधार पर उनके अगला मुख्यसचिव बनने की संभावनाएं प्रबल मानी जा रही है।
मुख्य सचिव कौन बन सकता है इसके लिये 30 वर्ष के सेवा काल के अतिरिक्त सरकार के रूल्ज आॅफ विजनैस में और कुछ नही है। लेकिन आई ए एस और आई पी एस देश की ऐसी सेवाएं हैं जहां वरियता को सामान्यतः नजर अन्दाज नही किया जाता है। नजर अंदाज तभी किया जाता है जब किसी के खिलाफ आपराधिक मामलें में अभियोजन की अनुमति मांग रखी हो। लेकिन रूल्ज आॅफ विजनैस में नजर अन्दाज करने की छूट भी नही है। फिर अब तो ऐसी नियुक्तियों और इनके स्थानान्तरणों के लिये आदेशों से पहले मामला सलैक्शन कमेटी में रखने का प्रावधान है और उसमें कमेटी को अपने फैसले के आधार रिकार्ड पर लाने होते है तथा इनकी जानकारी आरटीआई में ली जा सकती है। अधिकारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्टो में भी प्रतिकूल टिप्पणीयांे की जानकारी संबधित अधिकारी/कर्मचारी को उपलब्ध करवाई जाती है और ऐसी टिप्पणीयों को चुनौती देने का भी प्रावधान है। सलैक्शन कमेटी के गठन की अवधारणा के पीछे भी यही मंशा रही है कि इसके लिये आगे चलकर राजनीतिक नेतृत्व/ मुख्यमन्त्री पर जिम्मेदारी न डाली जा सके। ऐसे में मुख्यसचिव के चयन के लिये जो भी कमेटी बनेगी उसके लिये सानन के अतिरिक्त दूसरे दावेदारों को नजर अन्दाज कर पाना आसान नही होगा। फिर फारखा के बनाये जाने पर बाकियों को उनके समकक्ष लाना भी आसान नही होगा। आईएएस और आईपीएस में तो सिनियर अपने जूनियर को रिपोर्ट करना या फाईल भेजना तक गवारा नही करते है।
ऐसे में फारखा की ताजपोशी के साथ वरिष्ठोें का सहयोग वीरभद्र को मिलना आसान नही होगा। वीरभद्र इस समय केन्द्र की जांच ऐजैन्सीयों का जिस कदर शिकार चल रहे हैं उसमें इस तरह की प्रशासनिक असहजता में कई तरह के नये खतरे भी पैदा हो सकते है। इस परिदृश्य में वरियता को नजर अन्दाज करके वीरभद्र फारखा की ताजपोशी करने का दम दिखा पायेेेंगे इसको लेकर तस्वीर साफ नही हो पायी है।