GSDP का 40 % और राजस्व प्राप्तियों सेे 214 % हुआ कुल कर्जभार
FRBM और बजट मैन्यूअल मानकों की नजरअन्दाजी
स्ंविधान की धारा 204 और 205 की अवमानना
राजभवन और विधानसभा भी बजट प्रावधानों से अधिक खर्च करने वालों में शामिल
सवालों में वित्त सचिव और वित्त मन्त्री
शिमला/शैल। किसी भी सरकार की आर्थिक एवं वित्तिय स्थिति का सही आकलन करने की संवैधानिक जिम्मेदारी राज्यों में तैनात महालेखाकार कार्यालय की रहती है। महालेखाकार कार्यालय द्वारा तैयार किया गया लेखा जोखा हर वर्ष राज्य की विधान सभा में रखा जाता है। सदन में इस लेखे के आने के बाद विधानसभा की पब्लिक एकाऊंटस कमेटी महालेखाकार की रिपोर्ट में दर्ज टिप्पणीयों पर विस्तृत चर्चा करती है और संबंधित विभागो के सचिवों एवम् अन्य शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों से इस बारे में जवाब तलबी करती है सी ए जी की रिपोर्ट में दर्ज टिप्पणीयों को हल्के से लेना कई बार राज्य सरकारों को भारी भी पड़ जाता है। सरकार एक तय वित्तिय अनुशासन और प्रबन्धन के मानदण्ड़ों का उल्लंघन ना करे इसकी पूरी तस्वीर कैग रिपोर्ट में दर्ज रहती है। वित्तिय अनुशासन के लिए ही वर्ष 2005 में एफ आर बी एम एक्ट लाया गया था जिसमें 2011 में संशोधन भी किया गया था। एक्ट के अतिरिक्त इस बजट में मैन्यूअल भी हैै। लेकिन क्या इन सब की अनुपालना की जा रही है? कैग में सरकार के आर्थिक और वित्तिय प्रबन्धन को लेकर गम्भीर सवाल उठाए गए हैं बल्कि कैग की टिप्पणीयां सदन की पी ए सी को भी कठघरे में खड़ा करती हैं।
वर्ष 2014-15 के सदन में आई कैग रिपोर्ट में कहा गया है As per Article 204 (3) of the Constitution of India, no money shall be withdrawn from Consolidated Fund of the State except under appropriation made by law passed in accordance with the provision of this article .
Notwithstanding the above, excess expenditure over budget provision increased from rupees 474.86 crore in 2013-14 to rupees 1,585.69 crore in 2014-15.
As per Article 205 of the Constitution of India, it is mandatory for a state Government to get the excess over a grant / appropriation regularized by the state Legislature. Although no time limit for regularisation of expenditure has been prescribed under the Article, the regularization of excess expenditure is done after the completion of discussion of the appropriation Account by the Public Accounts Committee (PAC). However, the excess expenditure amounting to rupees 5,055.89 crore (Appendix 2.2) for the years 2009 -10 to 2013- 14 was yet to be regularized as of September 2015.
सदन की बैठकें वर्ष में तीन बार होती हैं ऐसे में वर्ष 2009-10 में समेकित निधि से किये गये अधिक खर्च का अब तक नियमितिकरण न होना सारे वित्तिय प्रबंधंन की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़े करता है। क्योंकि बजट प्रावधानो से लगातार अधिक खर्च करना कुछ विभागों का स्वभाव ही बन गया है। प्रदेश के सिंचाई एवम् जन स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष 2010-11 में 586.72 करोड़ वर्ष 2011-12 में 350.71 करोड़ वर्ष 2012-13 में 285.21 करोड़ वर्ष 2013-14 में 255.33 करोड़ तथा वर्ष 2014-15 में 474.07 करोड़ बजट प्रावधानो से अधिक खर्च करके संविधान की धारा 204 का सीधा उल्लंघन किया है। लेकिन बजट प्रावधानों से हर वर्ष ज्यादा खर्च करने के बावजूूद राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर लगातार कम होती जा रही है। 2010-11 में यह वृद्धि दर 18.24 प्रतिशत, 2011-12 में 16.62 प्रतिशत, 2012-13 में 14.76 प्रतिशत, 2013-14 में 12.57 प्रतिशत तथा 2014-15 में यह केवल 11.35 प्रतिशत रह गई है।
प्रदेश के जी एस डी पी में वृद्धि जहां लगातार कमी आ रही है वहीं पर प्रदेश का कर्ज भार हर वर्ष बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2010-11 में यह कर्ज 26415 करोड़ था, वर्ष 2011-12 में 28228, 2012-13 में 30442, 2013-14 में 33884 और 2014-15 में यह बढ़कर 38192 करोड़ हो गया है।जिस अनुपात में यह कर्जभार बढ़ रहा है उस पर कैग में गम्भीर सवाल उठाए गए हैं आज कर्ज लौटाने के लिए सरकार को और कर्ज लेना पड़ रहा है। दूसरी और प्रशासन इस वित्तिय स्थिति को कितनी गम्भीरता से ले रहा है इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि कई विभाग बजट का अधिकांश धन वर्ष के अंतिम मास मार्च में खर्च कर रहे हैं।
ऊर्जा के लिये 2014-15 में 403.78 करोड़ का प्रावधान किया गया था। इसमें मार्च 2015 में विभाग ने 330 करोड़ 82 प्रतिशत खर्च किये हाऊसिंग के लिये 16.52 के कुल प्रावधान में से मार्च में 110.05 करोड़ खर्च किये गये 67 प्रतिशत मध्यम सिंचाई के लिये 22.91 करोड़ में से 22.81 करोड़ 99 प्रतिशत मार्च मे खर्च किये गये, कमांड एरिया विकास के 18.74 करोड़ में से 15.29 82 प्रतिशत मार्च में खर्च हुए और सड़क एवं पुल 21.49 करोड़ में से 16.08 75 प्रतिशत मार्च में खर्च होना इन विभागों की नीयत और कार्यशैली को कठघरे में ला खड़ा करता है।
2014-15 में इन विभागों ने प्रावधानों से अधिक खर्च किया
संविधान की धारा 204 का उल्लंघन करके बजट प्रावधानों से अधिक खर्च करने वालों में प्रदेश के 16 विभाग शामिल हैं। इनमें राज्यपाल एवं मन्त्रीपरिषद अवकारी एवं कराधान कृषि बागवानी सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य, ऊर्जा विकास, विधानसभा, लोकनिर्माण, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, वित्त राजनीति विकास, और उद्योग विभाग तथा सूचना प्रा़द्यौगिकी आदि विभाग शामिल है। इनमें राजस्व से लेकर केपिटल एकाऊंट तक में प्रावधानों से अधिक खर्च हुआ है। इसके अतिरिक्त विभिन्न विभागों के 42642 उपयोगिता प्रमाण पत्र अभी तक जारी नहीं हो पाये हैं। इस तरह वित्तिय प्रबंधन के सारे मानदण्डो़ पर सरकार लगातार असफल सिद्ध हो रही है। इन मानदण्ड़ो के अनुसार वर्ष 2011-12 में राजस्व धारा शून्य पर लाया जाना था। लेकिन ऐसा अब तक नहीं हो सका है। आज प्रदेश का कर्जभार राजस्व प्राप्तियां का 214 प्रतिशत और सकल घरेलू उत्पाद का 40 प्रतिशत हो चुका है और यह एक अच्छा संकेत नहीं है।