देशराज की जमानत याचिका में किरण नेगी का पक्ष बनना बड़ा मोड़ है

Created on Sunday, 27 July 2025 15:26
Written by Shail Samachar
शिमला/शैल। पावर कारपोरेशन के चीफ इंजीनियर स्व. विमल नेगी की मौत के प्रकरण की जांच प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर सी.बी.आई. के पास जा चुकी है। सी.बी.आई. को यह जांच स्व. विमल नेगी की धर्मपत्नी किरण नेगी के आग्रह पर सौंपी गयी थी। क्योंकि स्व. विमल नेगी के अपने कार्यालय से गुम होने से लेकर उनका शव बरामद होने तक और उसके बाद भी जिस तरह का आचरण प्रदेश सरकार और उसकी जांच एजैंसीयों का रहा उससे असंतुष्ट होने पर श्रीमती किरण नेगी ने प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और तब यह जांच सी.बी.आई. को सौंपी गयी थी। लेकिन सी.बी.आई. भी अभी तक इस प्रकरण में कुछ ठोस सामने नहीं ला पायी है। सी.बी.आई. ने दो बार प्रदेश उच्च न्यायालय में कुछ ठोस सामने लाने के लिये समय मांगा है। इस मामले में किरण नेगी ने जिन अधिकारियों पर विमल नेगी को प्रताड़ित करने के आरोप लगाये थे और इस पर एक तरह का जनाक्रोष भी उभरा था वह दोनों लोग अभी तक अग्रिम जमानत पर चल रहे हैं। हरिकेश मीणा को प्रदेश उच्च न्यायालय से और देशराज को सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानते मिली हुई हैं। देशराज को जब सर्वाेच्च न्यायालय से जमानत मिली थी तब प्रदेश की ओर से सुप्रीम कोर्ट में उसका विरोध करने के लिये कोई भी पेश नहीं हुआ था। जबकि इन दोनों अधिकारियों को जनाक्रोष के चलते सरकार ने सस्पेंड तक कर दिया था और अब इन दोनों को बहाल करके पोस्टिंगज दे दी गयी है। इस परिदृश्य में यह मामला एक ऐसा प्रकरण बन चुका है जिस पर सबकी नजरें भी लगी हुई हैं। इसलिये अब जब 22 तारीख को देशराज की अग्रिम जमानत का मामला सर्वाेच्च न्यायालय में सुनवाई के लिये आया तब किरण नेगी का वकील भी इसमें शामिल होकर नियमित पक्ष बन गया है।
स्मरणीय है कि स्व. विमल नेगी के अपने कार्यालय से गुम होने से लेकर उनका शव बरामद होने पर ही किरण नेगी द्वारा प्रदेश की जांच एजैंसीयों द्वारा की गयी कारवाई से असंतुष्ट होने पर उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने पर जो कुछ कारवाई के नाम पर घटा है वह सब उच्च न्यायालय के रिकॉर्ड पर आ चुका है और सी.बी.आई. के लिये एक बुनियादी आधार बन चुका है। अब किरण नेगी उस रिकॉर्ड को सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में ला सकती है। माना जा रहा है कि जब सारा रिकॉर्ड सर्वाेच्च न्यायालय के संज्ञान में आयेगा तब स्थितियां बहुत बदल जायेंगी। क्योंकि जो कुछ इस मामले में घट चुका है उसके मुताबिक जब विमल नेगी की गुमशुदी की शिकायत आयी और उस पर जो एस.आई.टी. गठित की गई उसमें ए.एस.आई. पंकज सदस्य नहीं था। जब नेगी का शव बरामद हुआ और दूसरी एस.आई.टी. गठित हुई उसमें ए.एस.आई. का नाम नहीं था। लेकिन शव के पास पहुंचने वाला वह पहला व्यक्ति है। यही नहीं उसी ने स्व. विमल नेगी का पेन ड्राइव निकाला और उसको फारमेट किया। इसी दौरान वह किसी से बातचीत भी करता है। यह सब डी.जी.पी. की स्टेटस रिपोर्ट में दर्ज है। ए.एस.आई. पंकज किसके ने निर्देश पर शव के पास पहुंचा? उसने पेन ड्राइव निकालकर किसके कहने से उसे फारमेट किया? किसके साथ वह संवाद कर रहा था। यह सब इस पूरे प्रकरण का केंद्रीय बिन्दु बन चुका है। जब तक इसकी सच्चाई सामने नहीं आयेगी तब तक पूरी जांच पर भरोसा ही नहीं बन पायेगा।
फिर इसी प्रकरण में जब डी.जी.पी. की स्टेटस रिपोर्ट और अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह की प्रशासनिक रिपोर्ट तथा एस.पी. शिमला की स्टेटस रिपोर्ट उच्च न्यायालय में पहुंची और उन पर जिस तरह की प्रतिक्रियाएं आधिकारिक क्षेत्रों से उभरी उनसे पूरे प्रकरण की गंभीरता ही बदल गयी। इन्हीं प्रतिक्रियाओं के परिदृश्य में यह जांच सी.बी.आई. में पहुंची है। अब जब देशराज की जमानत के मामले में किरण नेगी सर्वाेच्च न्यायालय पहुंचकर पक्ष बन गयी है तब उनके पास इस सबको सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाना आसान हो जायेगा। क्योंकि अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह की रिपोर्ट में इंजीनियर सुनील ग्रोवर का वह शपथ पत्र भी दर्ज है जिसमें पावर परियोजनाओं में फैले भ्रष्टाचार का भी पूरा खुलासा हैै। क्योंकि यह सामान्य समझ की बात है कि सरकारी कामकाज में भ्रष्टाचार के कारण ही व्यवहार में बदलाव आता है और इस प्रकरण में भी बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार होने की शंकाएं स्वतः ही सामने आ गयी हैं।
 
यह है सुप्रीम कोर्ट का आर्डर
O R D E R
In the larger interest of justice, we feel that the CBI as well as the complainant should also be made parties.
2. As Mr. S.D. Sanjay, learned ASG has already appeared for the CBI and Mr. Rana Ranjit Singh, learned counsel has appeared for the complainant, no notice be issued to them. However, we mark the presence of learned ASG for the State of Himachal Pradesh.
3. Accordingly, let corrected memo of parties be filed by learned counsel for the petitioner within a period of one week.
4. Learned counsel for the respondents especially, the newly added ones, are free to file their counter affidavit.
5. List on 21.08.2025.
6. We clarify our previous interim order that the petitioner shall cooperate in the investigation in the meantime.