पावर कारपोरेशन में सैंकड़ों करोड़ का भ्रष्टाचार इंजीनियर सुनील ग्रोवर के बयान से उठी चर्चा

Created on Saturday, 05 April 2025 09:16
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। क्या अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा और पुलिस की जांच स्व. विमल नेगी की मौत के लिये जिम्मेदार लोगों को सजा दिला पायेगी। यह सवाल इंजीनियर सुनील ग्रोवर के उसे ब्यान के बाद चर्चा में आया है जो उन्होंने अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा को सौंपा है। इंजीनियर सुनील ग्रोवर एचपीएस एलडीसी के एम डी रह चुके हैं और अखिल भारतीय पावर इंजीनियरिंग फैडरेशन के संरक्षक भी हैं। इस नाते उनके तकनीकी ज्ञान और अनुभव पर संदेह नहीं किया जा सकता। सुनील ग्रोवर ने अपने ब्यान में पावर कॉरपोरेशन में व्यापक भ्रष्टाचार की तथ्यों के साथ जो कहानी सामने रखी है उसके मुताबिक सौर ऊर्जा परियोजनाओं पेखूबेला में ही सौ करोड़ से अधिक का घपला हुआ है और शोंग-टोंग जल विद्युत परियोजना में तो कई सौ करोड़ का घपला है। इन घपलों का आकार देखकर कोई भी व्यक्ति यह मानने को तैयार नहीं होगा कि एक दो अधिकारी ही अपने स्तर पर इतना बड़ा कारनामा कर गये होंगे। क्योंकि हर बोर्ड कॉरपोरेशन के प्रबंधन में वित्त विभाग का प्रतिनिधि होता है। फिर विभाग का प्रभारी सचिव भी होता है जो पूरे विभाग पर नजर रखता है। पावर कॉरपोरेशन में तो अध्यक्ष भी नियुक्त है। विद्युत विभाग का प्रभार तो स्वयं मुख्यमंत्री के पास है। फिर जिस तरह के नीतिगत फैसले शांग-टांग परियोजना में लिये गये हैं संभव है कि वह विषय मंत्री परिषद तक भी पहुंचे हों। इंजीनियर सुनील ग्रोवर के ब्यान से स्पष्ट है कि पावर कॉरपोरेशन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। इतना बड़ा भ्रष्टाचार अपने में ही एक बड़ा मुद्दा बन जाता है। इस भ्रष्टाचार के कारण विमल नेगी के लिये जीवन समाप्त कर देने की परिस्थितियों निर्मित हुई या नहीं यह पुलिस की जांच का विषय है। लेकिन कार्पाेरेशन में भ्रष्टाचार हुआ है यह खुलासा इंजीनियर सुनील ग्रोवर का सत्यापित बयान कर रहा है। इतने बड़े पैमाने पर हुआ भ्रष्टाचार कॉरपोरेशन के प्रबंधन के अतिरिक्त अध्यक्ष ऊर्जा सचिव और प्रभारी मंत्री तक को कटघरे में खड़ा कर देता है। इस मामले की प्रशासनिक जांच अतिरिक्त मुख्य सचिव कर रहे हैं। लेकिन कॉरपोरेशन के अध्यक्ष तो शायद मुख्य सचिव स्वयं हैं। इसलिये अतिरिक्त मुख्य सचिव मुख्य सचिव से बतौर कॉरपोरेशन अध्यक्ष कितने और क्या सवाल जवाब कर पायेंगे यह आम समझ का विषय है।
वित्तीय संकट से जूझ रहे प्रदेश में इस आकार का भ्रष्टाचार घट जाये तो यह पूरी व्यवस्था पर एक गंभीर सवाल हो जाता है। इंजीनियर ग्रोवर ने अपने बयान के हर पन्ने पर हस्ताक्षर किये हैं और इसका अर्थ यह हो जाता है कि वह इस बयान में दर्ज तथ्यों को प्रमाणित करने के लिए तैयार हैं।

इंजीनियर ग्रोवर के बयान के अंश यह हैं

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


बयान में दर्ज तथ्यों से यह स्पष्ट हो जाता है कि कॉर्पाेरेशन में सैकड़ो करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है। इस भ्रष्टाचार पर बहुत पहले वायरल हुये पत्र में भी कई संकेत दर्ज थे। लेकिन तब इस भ्रष्टाचार की जांच को रोकने के लिये पत्रकारों के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज करवा दी गयी थी। यदि उस समय पत्र में दर्ज तथ्यों को गंभीरता से लिया होता तो शायद विमल नेगी को अपना जीवन समाप्त करने की स्थितियां ना बनती ।