देहरा विधानसभा उपचुनाव में कांगड़ा बैंक द्वारा महिला मण्डलों को आर्थिक सहायता देना आया सवालों में
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Created on Sunday, 16 March 2025 06:53
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Written by Shail Samachar
- क्या यह आचरण आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है?
- यह प्रकरण भाजपा पर भी गंभीर प्रश्न चिन्ह है
शिमला/शैल। ई.डी. सूत्रों से यह बाहर आया था की देहरा विधानसभा उपचुनाव के दौरान क्षेत्र के महिला मण्डलों को मतदान से कुछ दिन पूर्व पचास-पचास रूपये दिये गये थे। शैल ने यह समाचार अपने पाठकों के सामने भी रखा था। यह संभावना भी जताई थी कि बजट सत्र के दौरान इस संबंध में प्रश्न भी पूछा जा सकता है। शैल का यह दावा सही प्रमाणित हुआ है। हमीरपुर के विधायक आशीष शर्मा ने प्रश्न पूछा है कि क्या मुख्यमंत्री बतलाने की कृपा करेंगे कि
(क) यह सत्य है कि दिनांक 01 जून से 10 जुलाई 2024 तक देहरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत महिला मण्डलों को कांगड़ा बैंक द्वारा धनराशि जारी की गयी है और
(ख) यदि हां तो कितने महिला मण्डलों को कितनी धनराशि जारी हुई ब्योरा महिला मण्डलों के नाम, गांव तथा धनराशि सहित दें।
जब यह प्रश्न जवाब के लिये सदन में आया तो सहकारिता विभाग के प्रभारी मंत्री उपमुख्यमंत्री ने जवाब दिया की सूचना एकत्रित की जा रही है। वैसे सहकारी बैंकों को सहकारिता विभाग से अलग करके वित्त विभाग के अंतर्गत ला दिया गया है और वित्त विभाग का प्रभार स्वयं मुख्यमंत्री के पास है। जब सदन में यह जवाब आया की सूचना एकत्रित की जा रही है तब आशीष शर्मा और पूरे विपक्ष ने यह आरोप लगाया कि जानबूझकर सूचना नहीं दी जा रही है। आशीष शर्मा ने अपने इस वक्तय के बाद जो सूचना उनके पास थी उसे सदन के पटल पर रख दिया। आशीष शर्मा द्वारा सदन में रखी गयी सूचना के मुताबिक 27 जून से 10 जुलाई तक क्षेत्र में 13 महिला मण्डलों को पचास-पचास हजार रुपए कांगड़ा बैंक द्वारा दिये गये हैं। इस प्रश्न का सरकार द्वारा जवाब न दिये जाने पर हुई बहस के बाद विपक्ष ने सदन से वॉकआउट भी कर दिया है।
देहरा में 10 जुलाई को मतदान था। 27 जून से 10 जुलाई तक क्षेत्र के तेरह महिला मण्डलों को कांगड़ा बैंक द्वारा पचास-पचास हजार रुपए दिये जाने का दस्तावेज आशीष शर्मा ने सदन के पटल पर रख दिया है। सरकार इस दस्तावेज को झुठला नहीं पा रही है। इससे यह प्रमाणित हो जाता है कि आचार संहिता को अंगूठा दिखाते हुये धनराशि बांटी गयी। चुनाव आचार संहिता के दौरान बैंक प्रशासन द्वारा बांटा गया यह पैसा निश्चित रूप से पूरी चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्न चिन्ह लगाता है। पिछले दिनों हुए हरियाणा और महाराष्ट्र विधान सभाओं के चुनावों में चुनाव आयोग पर कांग्रेस द्वारा गंभीर आरोप लगाये गये हैं। मामले अदालत तक जा पहुंचे हैं। ऐसे में कांग्रेस शासित राज्य में मतदान से कुछ दिन पूर्व कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा इस तरह से महिला मण्डलों को पचास-पचास हजार रुपए देना पूरे चुनाव पर प्रश्न चिन्ह लगा देता है। कांगड़ा बैंक किसी प्राइवेट लाला की दुकान नहीं है। इसका प्रबन्ध निदेशक सरकार द्वारा नियुक्त किया गया कोई एच.ए.एस. या आई.ए.एस. अधिकारी ही होता है जिसे चुनाव आचार संहिता का पूरा ज्ञान रहता है। फिर चुनाव के दौरान इस तरह से बैंक के प्रबन्ध निदेशक के अपने ही स्तर पर ऐसे महिला मण्डलों को आर्थिक सहायता दिया जाना आसान नहीं लगता है। चुनाव के दौरान ऐसे खुला पैसा लेकर कोई नहीं चल सकता है तो एक अधिकारी द्वारा अपने ही स्तर पर ऐसा कर देना संभव नहीं लगता है। इस विवाद पर जिस तरह के ब्यान सरकारी पक्ष द्वारा दिये जा रहे हैं उससे यह मामला और गंभीर हो जाता है।
अब इस प्रकरण पर विपक्ष किस तरह का आचरण अपनाता है उस पर सबकी निगाहें लगी रहेगी। इस प्रकरण के बाहर आने के बाद चुनाव आयोग और प्रदेश का मुख्य निर्वाचन अधिकारी इसका कैसे संज्ञान लेता है इस पर भी सबकी निगाहें रहेंगी।
यह है पैसा देने का प्रमाण