मंत्रियों के ब्यानों से उलझा मस्जिद विवाद पूरे प्रदेश में फैला
जब शहर में चार-पांच हजार अवैध निर्माण है तो अकेले मस्जिद के खिलाफ कारवाई कैसे होगी
जब 2010 से यह अवैधता चल रही थी तो क्या संबद्ध प्रशासन के खिलाफ भी कारवाई होगी?
शिमला/शैल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल की सुक्खू सरकार की स्थिति को लेकर जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के चुनाव में कांग्रेस पर सीध निशाना साधा है। मोदी ने आरोप लगाया है कि विधानसभा चुनावों के दौरान जनता की झूठी गारंटीयां देकर सता में आयी सरकार आज समय पर अपने कर्मचारियों को वेतन तक का भुगतान नहीं कर पा रही है। यह एक ऐसा आरोप है जिसका साक्ष्य सरकार के अपने ही फैसले बनते जा रहे हैं। जब प्रधानमंत्री ने स्वयं यह मुद्दा उछाल दिया है तो निश्चित है कि आने वाले दिनों में भाजपा का हर नेता इस पर साक्ष्यों के साथ आक्रमक होगा। हिमाचल की कांग्रेस सरकार की इस परफारमैन्स का पड़ोसी राज्यों के चुनावों पर क्या असर पड़ेगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। क्योंकि चुनावों में कई स्थानीय फैक्टर भी होते हैं जो मुद्दों पर भी भारी पड़ते हैं। लेकिन यह तय है कि प्रधानमंत्री का यह संज्ञान लेना प्रदेश की राजनीति को अवश्य प्रभावित करेगा और चुनावों में कांग्रेस की आक्रामकता पर भी भारी पड़ेगा। कांग्रेस पड़ोसी राज्यों में हिमाचल में कांग्रेस की सरकार होने का लाभ नहीं ले सकेगी। इस समय प्रदेश की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिये सरकार जो भी कदम उठा रही है उसका आम आदमी पर असर नकारात्मक ही पड़ रहा है। विपक्ष का हर नेता प्रदेश को कर्ज की इस दलदल में धकेलना का आरोप लगा रहा है। अनुराग ठाकुर ने तो सरकार पर तीस हजार करोड़ का कर्ज अब तक ले लेने पर सीधे कहा है कि अब तक की सरकारों ने जितना कर्ज लिया था उसका 50% तो इस सरकार ने दो वर्षों से कम समय में ही ले लिया है।
वित्तीय स्थिति के साथ ही मस्जिद विवाद को जिस तरह से सरकार ने हैंडल किया है उससे हालात और उलझ गये हैं। क्योंकि सरकार के मंत्रियों ने स्वयं स्वीकार लिया है कि अवैध निर्माण हुआ है। लेकिन मस्जिद के अवैध निर्माण को स्वीकारते हुये शहरी विकास मंत्री ने यहां यह भी खुलासा किया है कि शहर में चार-पांच हजार अवैध निर्माण है। स्वभाविक है कि सारे अवैध निर्माणों पर एक सम्मान कारवाई करनी होगी। इसमें यह कठिन हो जायेगा की मस्जिद में अवैध निर्माण हुआ है इसलिए इसको तुरन्त गिरा दिया जाये। यह दूसरी बात है कि मुस्लिम समाज स्वतः ही इस निर्माण को गिराने के लिये तैयार हो जायें। लेकिन तब भी अन्य चार-पांच हजार अवैध निर्माण पर सरकार कब क्या कारवाई करती है इस पर जनता की नजर बनी रहेगी। इसी के साथ पंचायती राज मंत्री ने जिस तरह से सदन में खुलासा रखा है कि बांग्लादेशी और रोहिंगियां यहां पर आ गये हैं यह अपने में एक बड़ा तथ्य है। यह भी सदन में रखा गया कि कब से यह अवैध निर्माण चल रहा था। निगम प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाये गये हैं। जो कुछ मंत्री ने सदन में कहा है वही सब कुछ तो हिन्दू संगठन कह रहे हैं।
इस समय पूरे प्रदेश में यह मुद्दा फैल गया है क्योंकि अपरोक्ष में सरकार के दो मंत्रियों ने वह सब कुछ स्वीकार लिया है जो हिन्दूवादी संगठन कह रहे हैं। प्रदेश में कितनी मस्जिदें बन गयी हैं और कैसे बन गयी हैं क्या इसका जवाब सरकार से हटकर कोई दूसरी एजैन्सी दे सकती हैं? फिर सुक्खू सरकार को भी सत्ता में आये दो वर्ष होने जा रहे हैं। इस सरकार में यह खुलासे करने वाले भी पहले दिन से ही मंत्री हैं। तो क्या इन सब की भी बराबर की जिम्मेदारी नहीं बन जाती है। भाजपा ने तो अपने बूथ स्तर के नेताओं को भी इस मस्जिद मुद्दे पर कोई भी अधिकारिक टिप्पणी करने से रोक दिया है। अब यह मुद्दा पूरी तरह हिन्दू संगठनों के हाथ में चला गया है। मंत्रियों के ब्यानों ने उनके मुद्दे को प्रमाणिकता प्रदान कर दी है। यह ठीक है कि यह मुद्दा उलझने के बाद वित्तीय संकट की चर्चा पृष्ठभूमि में चली गयी है। लेकिन प्रधानमंत्री द्वारा स्वयं इसको चुनावी चर्चा में लाना एक गंभीर संकेत है।