क्या चण्डीगढ़ के घटनाक्रम ने रोकी हिमाचल के भाजपा प्रत्याशियों की घोषणा

Created on Tuesday, 06 February 2024 15:14
Written by Shail Samachar
शिमला/शैल। प्रदेश भाजपा 2014 और 2019 के दोनों लोकसभा चुनाव में यहां की चारों सीटों पर जीत हासिल करती रही है। मण्डी में जब पण्डित राम स्वरुप के निधन के कारण उपचुनाव हुआ तब यहां से कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह विजयी हुई। जबकि मण्डी जयराम ठाकुर का गृह क्षेत्र था और वह सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। 2019 के चुनावों के बाद यदि हिमाचल के सांसदो की प्रदेश में सक्रियता का आकलन करें और यह देखें कि किसकी क्या उपलब्धि व्यक्तिगत तौर पर रही है तो शायद उल्लेखनीय कुछ भी नहीं मिले। क्योंकि 2019 के बाद देश में भाजपा की पहचान केवल मोदी ही बन चुके हैं। आज भी मोदी के बिना भाजपा नहीं है कि स्थिति है। 2017 में प्रदेश में भी भाजपा की सरकार मोदी के नाम पर बनी थी। लेकिन 2022 के चुनाव आने तक प्रदेश की जयराम सरकार मोदी-शाह के भरपूर प्रयास के बावजूद सता में वापसी नहीं कर पायी। भाजपा प्रदेश में वापसी क्यों नहीं कर पायी जबकि लोकसभा की चारों सीटें उसके पास थी। यह हार एक प्रतिशत से भी कम अन्तर से हुई है। और इस हार के कारणों को आज तक सार्वजनिक नहीं किया जा सका है। जयराम सरकार के वक्त भाजपा सांसदों कि क्या स्थिति थी यह प्रदेश का हर आदमी जानता है। जबकि जगत प्रकाश नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और अनुराग ठाकुर वरिष्ठ मंत्री थे। लेकिन इसके बावजूद भाजपा विधानसभा चुनाव हार गई थी। यह चर्चा आज इसलिये प्रसांगिक हो जाती है क्योंकि भाजपा लोकसभा प्रत्याशियों की घोषणा अब तक नहीं कर पायी है। पिछले दिनों जब यह चर्चा उठी की नड्डा प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं उसके बाद से पार्टी के भीतरी हल्कों में इसको लेकर दबी जुबान से यह चर्चा गंभीर हो गई है। नड्डा के प्रदेश दौरों से इन चर्चाओं को और बल मिलता जा रहा है। इन चर्चाओं का आधार यह माना जा रहा है कि नड्डा की राज्यसभा टर्म खत्म हो गई है और उनको दूसरी टर्म पार्टी के नियमानुसार मिलना संभव नहीं माना जा रहा है। यह स्थिति राष्ट्रीय अध्यक्षता से लेकर है। ऐसे में नड्डा को सक्रिय राजनीति में बने रहने के लिये लोकसभा चुनाव लड़ना एक आसान विकल्प माना जा रहा है। नड्डा के लोस प्रत्याशी बनने की सूरत में अनुराग ठाकुर को चण्डीगढ़ शिफ्ट किये जाने की संभावना बनती जा रही है। क्योंकि पूरे देश में चुनाव तो मोदी के नाम से ही लड़ा जाना है। लेकिन चण्डीगढ में मेयर के चुनाव में जो कुछ घटा है और सर्वाच्च न्यायालय ने जिस तरह से उसका संज्ञान लिया है उसके बाद परिदृश्य कुछ बदलता नजर आ रहा है। चण्डीगढ़ के इस परिदृश्य में हिमाचल के लोस उम्मीदवारों की घोषणा में देरी बर्तने का रास्ता लिया गया है।