पथिक संवाददाता
मुंबई, 13 दिसंबर : म्हाडा की मुस्त चाल के कारण म्हाडा की जमी न पर बसी 86 लेआउट का काम पिछले कई वर्षों से अधर में लटका है. इस कारण म्हाडा को करोड़ों रुपए की चपत लग चुकी है. खबर है कि म्हाडा ले आउट पर बसी वसाहतों के विकास में हो रही देरी के लिए आर्किटेक्ट विभाग को दोषी ठहराया है. और इस सिलसिले में 9 वास्तुकारों को निलंबित किया जा चुका है. म्हाडा की 2500 हेक्टर जमीन पर 56 कालोनियां है. नगररचना के अनुसार उनका 104 भाग किया गया. सन 2008 में सरकार ने इन कालोनियों के पुनर्विकास के लिए 25 चटई क्षेत्र देने की घोषणा भी की. म्हाडा 104 विभागों के लेआउट की मंजूरी के लिए 25-30 लाख रुपए की फीस देकर आर्किटेक्टों की नियुिक्त की. लेकिन काम की गति इतनी सुस्त है कि 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी मंजूर हुई ले आउट की संख्या 38 है जबकि 38
लेआउटों का मामला खटाई में पड़ा है.
बता दें कि म्हाडा ने पिछले 5 वर्षों में 400 इमारतों का आपत्ति नहीं प्रमाण पत्र जारी किया है. इनमें से 300 प्रकल्प का काम लटका हुआ है. अगर इन पर काम समय पर शुरु होता तो म्हाडा को 300 करोड़ रुपए की प्राप्ति होती. लेकिन म्हाडा के वास्तुकार और बिल्डरों की मिली भगत के कारण प्रस्तावित ले आउटों का काम अटका हुआ है. इस कारण म्हाडा का नाम भी बदनाम हो रहा है और उसे आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है.