सरकार बनाने के लिए मांगा 10 दिन!

Created on Saturday, 14 December 2013 13:49
Written by Shail Samachar

नई दिल्ली।। आप पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल ने सरकार बनाने को लेकर उपराज्यपाल से 10 दिन का समय मांगा है। आज 10:30 पर उन्होने दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग से मुलाकात की और सरकार बनाने के मसले पर दस दिन का समय मांगा।

साथ ही उन्होने एक-एक चिट्ठी बीजेपी और कांग्रेस को भी लिखी है। उन्हे उपराज्यपाल से समय मिला है या नही मिला के जवाब में केजरीवाल ने बताया कि अभी उपराज्यपाल ने कहा है कि इसके लिये हमने कोई समय सीमा तय नहीं की है आप जब तैयार हो जाये हमे चिट्ठी सौंप दिजिये हम आपको बुला लेंगे।

केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी और कांग्रेस को लिखी उन चिट्ठियों की कॉपी जनता को सौंपी जायेगी। केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस ने हमे बिना शर्त समर्थन देने की बात कही है। हम आज भी अपनी बात पर कायम हैं कि हम किसी भी दल को समर्थन ना देंगे ना लेंगे। उन्होंने कहा कि आप का जन्म भ्रष्टाचार से कराहती जनता के दर्द से हुआ है। ऐसे में दोनो दलों से हाथ मिलाने का प्रश्न ही नही है।

केजरीवाल को अब चिट्ठी के जवाब का इंतजार है। अरविन्द केजरीवाल ने 17 मुद्दों पर दोनो पार्टियो की राय मांगी है। सोनिया गांधी और राजनाथ की नाम लिखी चिट्ठी में उन्होने पूछा है कि क्या ये दोनो दल 17 मुद्दो पर बिना शर्त समर्थन देंगे।

ये वही मुद्दे हैं जो आम आदमी पार्टी के मेनीफेस्टो में भी शामिल थे। केजरीवाल ने कहा है कि वो बीजेपी और भाजपा के जवाब के बाद उस पर जनता के साथ चर्चा करेंगे और सरकार बनाने ना बनाने का फैसला जनता की राय के बाद लेंगे।

केजरीवाल ने कांग्रेस पार्टी के बिना शर्त समर्थन देने पर कांग्रेस की नीयत पर सवाल उठाया है। उन्होने कहा कि हमे देर रात पता चला कि कांग्रेस ने उपराज्यपाल को हमे बिना शर्त समर्थन देने की बात कही है। हम आश्चर्य में हैं कि हमे बिना शर्त समर्थन देने के पीछे उनकी मंशा क्या है।

केजरीवाल ने सवाल उठाते हुए कहा कि हमने तो सुना था कि एक एक विधायक को खरीदने के लिये करोड़ो रूपये लगते हैं फिर बिना मांगे हमे समर्थन कैसे मिल रहा है।

अरविन्द केजरीवाल ने बीजेपी की नीयत पर सवाल उठाते हुये कहा कि वो बार बार अपना स्टैंड बदल रही है। कभी कहते हैं कि वो जनता की भलाई के लिये हमे समर्थन देने को तैयार हैं कभी कहते हैं हम सरकार बनाने की जिम्मेदारी से भाग रहे हैं। दोनो ही दलों के समर्थन देने के पीछे की मंशा समझ से बाहर है।