प्रबोध सक्सेना और कांगड़ा बैंक लोन प्रकरण बन सकते हैं चुनावी मुद्दे

Created on Tuesday, 01 October 2019 07:08
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। प्रदेश सरकार के प्रधान सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना के खिलाफ आई एन एक्स मीडिया प्रकरण में अभियोग की अनुमति भारत सरकार द्वारा दे दी गयी है। सक्सेना के साथ ही अन्य तीन अधिकारियों के खिलाफ भी यह अनुमति दी गयी है। आई एन एक्स मीडिया प्रकरण में यह सभी अधिकारी पूर्व वित्तमंत्री पी चिदम्बरम के साथ सह अभियुक्त हैं। बल्कि प्रबोध सक्सेना को पदोन्नत करने की भी चर्चा चली हुई है जिससे यह सपष्ट हो जाता है कि राज्य सरकार की नजर में सक्सेना चिदम्बरम आदि के खिलाफ बुनियादी तौर पर मामला सही नही है क्योंकि अभी तक इनमें से किसी की भी गिरफ्तारी इस प्रकरण में नही हुई हैं। जबकि चिदम्बरम इसी मामले में जेल में है। इन अधिकारियों के खिलाफ अब अभियोग की अनुमति आयी है। अभियोग की अनुमति तब मांगी जाती है जब मामले में जांच के बाद अदालत में चालान दायर किया जाना होता है। स्वभाविक है कि इन अधिकारियों के खिलाफ जांच पूरी करके चालान तैयार कर लिया गया है और जांच के दौरान इनकी गिरफ्तारी की आवश्यकता नही समझी गयी। ऐसे में अब यह सवाल उठना स्वभाविक है कि जिन अधिकारियों की सिफारिश पर चिदम्बरम ने मोहर लगायी है जब उनको ही गिरफ्रतारी लायक नही माना गया तो फिर चिदम्बरम की गिरफ्तारी कैसे?
इसी तरह कांगड़ा केन्द्रिय सहकारी बैंक द्वारा पिछले दिनों मनाली की एक पर्यटन ईकाई को 65 करोड़ का लोन स्वीकृत होने का मामला सामने आया है। यह लोन वीरभद्र शासन में स्वीकृत हुआ था और तब करीब सात करोड़ की एक किश्त ऋणकर्ता कांगड़ा बैंक की राजकीय महाविद्यालय उन्ना की ब्रांच से जारी हो गयी थी। उसके बाद सरकार बदलने के बाद इसे शायद बीस करोड़ की एक किश्त का भुगतान कर दिया गया। यह बीस करोड़ की किश्त मिलने के बाद ऋणी ने इसमें ग्यारह लाख रूपये वाकायदा चैक के माध्यम से विवेकानन्द ट्रस्ट पालमपुर को दान के रूप में दे दिये। शान्ता कुमार इस ट्रस्ट के चेरयमैन हैं उन्होने दान का यह चैक ऋणी को वापिस कर दिया क्योंकि तब तक इस ऋण को लेकर विवाद खड़ा हो चुका था। इसमें सबसे रोचक यह है कि कांगड़ा बैंक के चेयरमैन राजीव भारद्वाज भी इस ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं। ऐसे में दान का यह चैक एक प्रकार से रिश्वत बनता है। सर्वोच्च न्यायालय तो रैडक्रास को इस तरह से दान देने को अपराध मानकर सजा दे चुका है। ऐसे में कांगड़ा बैंक का यह लोन और फिर उसमें से दान देना सीधा भ्रष्टाचार का मामला बनता है जिसकी राज्य सरकार को जांच करनी चाहिये थी। लेकिन जयराम सरकार ऐसा नही कर पायी है। माना जा रहा है कि कांग्रेस इस ऋण दान और प्रबोध सक्सेना मामले को इन उपचुनावों में एक मुद्दा बनाकर सरकार को घेर सकती है।