सवालों के जवाब में गाली का चलन कब तक

Created on Tuesday, 30 April 2019 06:19
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। इन लोकसभा चुनावों में यह पहली बार हुआ है जब प्रदेश के किसी नेता को बदजुबानी के लिये चुनाव आयोग ने उसके प्रचार करने पर प्रतिबन्ध लगाया हो। प्रदेश में यह सत्तारूढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती के साथ हुआ है। उन्हें बदजुबानी के लिये चुनाव आयोग एक बार 48 घन्टे का प्रतिबन्ध लगा चुका है। एक बार सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। लेकिन अब तीसरी बार फिर उनके खिलाफ चुनाव आयोग को शिकायत गयी है। इस बार आरोप है कि मण्डी की एक जनसभा में अपने विरोधीयों को सार्वजनिक मंच से यह धमकी दे डाली कि जो उनके नेतृत्व के खिलाफ अंगूली उठायेगा बदले में उसका बाजू काट दिया जायेगा। सत्ती का यह ब्यान चुनाव आयोग की एक बार कारवाई और दूसरी बार चेतावनी के बाद आया है। सत्ती के इस ब्यान की पार्टी के शीर्ष नेताओं शान्ता कुमार, प्रेम कुमार धूमल और मुख्यमन्त्री जयराम में से किसी ने भी निन्दा नही की है। बल्कि मुख्यमन्त्री ने तो एक तरह से इस ब्यान का समर्थन किया है। मुख्यमन्त्री के समर्थन से यह गाली देना एक रणनीति बन जाती है। क्योंकि पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमन्त्री से बड़ा कोई पद नही होता है। इनसे ऊपर केवल जनता ही होती है। ऐसे में गाली की इस रणनीति का राजनीतिक संद्धर्भों में आकलन करना आवश्यक हो जाता है क्योंकि राजनीति में अपने से बड़े को ही गाली दी जाती है अपने बराबर वाले और छोटे को गाली की बजाये उससे सवाल पूछे जाते हैं।
इस समय केन्द्र और राज्य में दोनों जगह भाजपा की ही सरकारे हैं। इसलिये स्वभाविक है कि इन्ही से सवाल पूछे जायेंगे। 2014 के चुनावों में राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा ने देश की जनता से कुछ वायदे किये थे। इन वायदों पर भरोसा करके जनता ने इन्हे सत्ता सौंपी थी। आज यह वायदे कितने पूरे हुए हैं यह तो इन्ही से सवाल करके पूछा जायेगा और यह सवाल पूछने पर यदि गाली और धमकी मिलेगी तो यह निश्चित है कि इन वायदों की दिशा में कुछ नही हुआ है। इसके लिये सवाल पूछने वाले को ध्मकी और गाली से चुप करवाया जा रहा है। प्रदेश विधानसभा के चुनावों में भी कुछ वायदे किये गये थे। इन वायदों के लिये तो मुख्यमन्त्री जयराम ठाकुर और प्रदेश अध्यक्ष सत्ती से ही सवाल पूछे जायेंगे। विधानसभा चुनावों के दौरान मण्डी की एक जनसभा में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने तब के मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह से 72000 करोड़ का हिसाब मांगा था। इस हिसाब मांगने के माध्यम से प्रधानमन्त्री ने प्रदेश की जनता को यह बताया था कि उनकी सरकार ने प्रदेश को 72000 करोड़ की सहायता दी है जिसे सरकार ने गलत तरीके से खर्च किया है। लेकिन मुख्यमन्त्री जयराम ठाकुर ने नौ मार्च 2018 को अपने बजट भाषण में यह आंकड़ा 46793 करोड़ बताया है जिसका अर्थ है कि करीब 26000 करोड़ की गलत ब्यानी की गयी थी इसी तरह प्रदेश को 69 राष्ट्रीय राजमार्ग देने का आंकड़ा परोसा गया। इसके लिये बाकायदा नितिन गडकरी का जेपी नड्डा के नाम लिखा पत्र खूब भुनाया गया। लेकिन इसका आजका सच यही है कि यह सबकुछ सिद्धान्त रूप में ही है व्यवहार मे कुछ नही। ऐसे दर्जनो आंकड़े हैं जो सरकार की गलत ब्यानी को उजागर करते हैं सरकार ने लोक सेवा आयोग में तो दो पद सदस्यों के सृजित करके एक को भर भी दिया। लेकिन प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के खाली पड़े पद आज तक नही भरे गये जहां से कर्मचारियों को राहत मिल सकती थी।
आज राष्ट्रीय स्तर पर जो सवाल पूछे जा रहे हैं क्या उनका जवाब गाली के रूप में ही दिया जायेगा यह सवाल उछलने लगा है। 2014 के चुनावों में यह नही कहा गया था कि यह वायदे पूरे करने के लिये 60 महीने नही 60 वर्ष लगेंगे। क्योंकि आज हर असफलता के लिये कांग्रेस के पिछले कार्यकालों को कोसा जा रहा है। लेकिन आज भाजपा के इस कार्यकाल के बाद स्वभाविक रूप से इसका कांग्रेस के साथ तुलनात्मक अध्ययन किया जायेगा। आज जो सवाल चर्चा में चल रहे हैं वह पाठकों के सामने रखे जा रहे हैं क्योंकि आज जनहित में इन सवालों को एक मंच दिया जाना सरोकारी पत्राकारिता का कर्तव्य बन जाता है।
यह हैं कुछ बड़े सवाल
कहां है 10 करोड़ रोजगार?
कहां है 15-15 लाख?
कहां है 100 स्मार्ट सिटी?
क्या हुआ गोद लिये 282 गांव का?
कहां है 40 के निचे पेट्रोल डीजल?
कहां है 40 के निचे डाॅलर?
कहां है राम मन्दिर?
क्यों नही हटाई 370 धारा?
क्यों घटाया देश का रक्षा बजट?
क्यों घटाया शिक्षा का बजट?
क्यों देश की जीडीपी 2% तक गिरी?
क्यों 1.5 करोड़ लोगों की नौकरी गयी?
क्यों 177% आतंकी घटनायें बढ़ी?
कहां है कालाधन? 100दिनों में बोला था।
क्यों 93% ज्यादा हमारे सैनिकों की शहादत को रही है?
क्यों नोटबंदी से छोटे बिजनस की कमर तोड़ी?
क्यों देश में नारी सुरक्षित नहीं है?
क्यों गंगा मैया साफ नही हुई?
कहां किसानों की आमदनी बढ़ी?
क्यों महंगाई कम नही हुई?
देश की आज़ादी के बाद पहली बार सराफा बाजार 43 दिनों तक बन्द क्यों रहा?
मोदी की विदेश यात्रा पर खर्च 2000 करोड़, पटेल की मूर्ती पर खर्च 3500 करोड़, बीजेपी के नए राष्ट्रीय मुख्यालय पर खर्च करीब 1500 करोड़, इस तरह कुल 7000 करोड़ का खर्च क्यों?
अपने पूंजीपति मित्रों को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए 11 लाख वन रक्षक आदिवासियों को उनकी जमीनों औऱ उनके घरों से बेदखल करके उन्हें हथियार उठाने को मजबूर होना पड़ा क्यों?
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