क्या भाजपा भी सोशल मीडिया में फेक न्यूज का शिकार हो रही है शान्ता की पीड़ा आडवाणी के ब्लाॅग और जोशी के कथित पत्र से उठे सवाल

Created on Tuesday, 16 April 2019 06:34
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया में भाजपा के वरिष्ठ नेता डा. मुरली मनोहर जोशी के नाम से लाल कृष्ण आडवाणी को लिखा एक पत्र चर्चा मे आया है। यह पत्र ए..एन.आई के माध्यम से वायरल हुआ कहा जा रहा है क्योंकि पत्र के ऊपर एएनआई लिखा गया है। पत्र पर 12 अप्रैल की तारीख दर्ज है। इस पत्र के वायरल होने के दो तीन दिन बाद सोशल मीडिया में ही एएनआई और डाॅ. जोशी के नाम से कहा गया है कि यह पत्र फेक है। लेकिन इस पत्र को लेकर सोशल मीडिया के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज करवाई गयी हो ऐसा अभी तक सामने नही आया है न ही इस संबंध में डाॅ. जोशी की ओर से प्रिन्ट मीडिया या न्यूज चैनलज़ पर कोई खण्डन आया है। जबकि यह पत्र यदि सच में ही सही है तो यह एक बहुत गंभीर मुद्दा है।
इस पत्र की गंभीरता आज के राजनीतिक वातावरण में और भी बढ़ जाती है। क्योंकि भाजपा के ही पूर्व मन्त्राी अरूण शोरी, यशवन्त सिन्हां एक अरसे से रफाल सौदे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी रिव्यू याचिका स्वीकार कर ली है। भाजपा के ही पूर्व मन्त्री शत्रुघ्न सिन्हा एक अरसे से विपक्ष की सभाओं में शिरकत करते रहे हैं और अब कांग्रेस में शामिल हो गये हैं। लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और शान्ता कुमार जैसे वरिष्ठ नेताओं को आज भाजपा ने पुनः चुनाव में नही उतारा है। 2014 में जब भाजपा ने लोकसभा चुनावों के लिये घोषणा पत्र जारी किया था उसमें आडवाणी और जोशी की मुख्य भूमिका थी। इनके चित्र उस घोषणा पत्र पर दर्ज थे। लेकिन आज जब 2019 का घोषणापत्र जारी हुआ है उसमें आडवाणी और जोशी कहीं नही है। बल्कि घोषणा पत्र जारी करने के समारोह में शामिल नही थे। भाजपा की मुख्य धारा से जिस तरीके से इन लोगों को बाहर किया गया है उसका देश की जनता में कोई अच्छा संकेत और सन्देश नही गया है। आडवाणी ने इस सबको कैसे लिया है यह पार्टी के स्थापना दिवस पर आये उनके ब्लाॅग से देश के सामने आ गया है। आज पार्टी के अन्दर और बाहर चल रही मोदी शाह भक्ति पर अपरोक्ष में आडवाणी ने जो कुछ कहा है वह अपने मे सबके लिये आईना है।
हिमाचल के लोग जानते है कि शान्ता कुमार इस बार का लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। इसके लिये उन्होंने अपने तरीके से प्रचार अभियान भी छेड़ दिया था। लेकिन जब पार्टी ने उनको टिकट से बाहर कर दिया तब उनकी पीड़ा प्रदेश के सामने आ ही गयी। बल्कि अब तब सोनिया गांधी ने मोदी को वाजपेयी काल के 2004 के शाईनिंग इण्डिया की याद दिलाई तब शान्ता ने जिस ढंग से सोनिया की राय का समर्थन किया है उसके बाद शान्ता जैसे बड़े नेता को और कोई संकेत/संदेश देना शेष नही रह जाता है। क्योंकि राफेल सौदे के बाद फ्रांस सरकार ने जिस तरह से अंबानी को 1155 करोड़ की टैक्स राहत दी है उससे बहुत कुछ स्पष्ट हो जाता है। यही नही आज आरटीआई के तहत आरबीआई से मिली जानकारी में यह सामने आ गया है कि 2014 से 2018 तक मोदी सरकार के कार्यकाल मे 5,55,603 के ऋण राईट आफ कर दिये गये हैं। यह ऋण किन बड़े लोगों के रहे होंगे इसका अन्दाजा लगाया जा सकता है।
ऐसे में जिस पार्टी और सरकार के सामने ऐसे गंभीर सवाल जवाब मांगते खड़े होंगे उसकी अन्दर की हालत का अनुमान लगाया जा सकता है फिर इस तरह के परिदृश्य में जब पार्टी के वरिष्ठ लोगों के साथ ऐसा व्यवहार होगा तो उनकी पीड़ा कहीं तो छलक कर बाहर आ ही जायेगी। फिर जब पार्टी का घोषणापत्र जारी करने के मौके पर यह वरिष्ठ नेता समारोह में शामिल नही थे तब इनको लेकर मीडिया में सवाल उठने स्वभाविक थे और यह उठे भी। संभवतः इन्ही सवालों के बाद अमितशाह, आडवाणी और जोशी से मिलने गये थे। इस पृष्ठभूमि में बहुत संभव है कि डाॅ. जोशी की पीड़ा भी इस पत्र के रूप में छलक गयी हो। आज सोशल मीडिया पार्टीयों का बहुत बड़ा साधन बना हुआ है। बल्कि प्रिन्ट मीडिया की बजाये राजनीतिक दल सोशल मीडिया का ज्यादा सहारा ले रहे हैं। हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया में काम दिया हुआ है। यह सोशल मीडिया के सक्रिय कार्यकर्ता किस तरह की सूचनाएं आम लोगों तक इस माध्यम से पहुंचा रहे हैं। क्या कोई नेता या कार्यकर्ता इन सूचनाओं की जिम्मेदारी ले रहा है शायद नही। फिर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी तो डिजिटल इण्डिया के बहुत बड़े पक्षधर हैं उन्होने तो इसे विशेष प्रोत्साहन दिया है। वह इसे अपनी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि करार देते हैं। लेकिन क्या इस डिजिटल इण्डिया और सोशल मीडिया की कोई विश्वसनीयता बन पायी है। आज इसमें किसी का भी अकाऊंट हैक किया जा सकता है। बहुत संभव है कि डाॅ. जोशी का यह पत्र उसी हैकिंग का परिणाम हो। लेकिन इसमें यह सवाल जो जवाब मांगेगा ही कि जो न्यूज चैनल भाजपा नेताओं से ज्यादा भाजपा का प्रचार-प्रसार कर रहे थे वहां पर इस पत्र के फेक होने के समाचार क्यों नही आये। डाॅ. जोशी ने किसी अखबार या न्यूज चैनल से बात करके इसका खण्डन क्यों नही किया? भाजपा/जोशी की ओर से इसमें अब तक एफआईआर क्यों दर्ज नही करवाई गयी है। इस परिदृश्य में यह आवश्यक हो जाता है कि पाठक इस पत्र को पढ़कर स्वयं अपनी राय बनायें।                                     डाॅ.जोशी का कथित पत्र