शिमला/शैल। प्रदेश लोकसेवा आयोग की सदस्य डा. रचना गुप्ता ने दिल्ली के एक आरटीआई के सक्रिय कार्यकर्ता देवाशीष भट्टाचार्य को उसकी सोशल मीडिया में आयी कुछ पोस्टों पर एतराज जताते हुए दिया गया है कि देवाशीष ने यह नोटिस मिलने की पुष्टि करते हुए कहा है कि उसने इन पोस्टों में डा. रचना गुप्ता के खिलाफ व्यक्तिगत स्तर पर कुछ भी आपत्तिजनक नही कहा है। स्मरणीय है कि जब जयराम सरकार बनने के बाद डा. रचना गुप्ता को लोकसेवा आयोग का सदस्य लगाया गया था तब उनकी नियुक्ति की वैधता पर इसलिये सवाल उठे थे क्योंकि कांग्रेस के शासनकाल में इसी आयोग में सदस्य लगी मीरा वालिया की नियुक्ति पर भाजपा ने सवाल उठाये थे। बल्कि भाजपा ने प्रदेश विधानसभा के चुनावों में भी इस नियुक्ति को बड़ा मुद्दा बनाया था। इसलिये जब डा. रचना गुप्ता की नियुक्ति हुई और इसके लिये आयोग में सदस्यों के दो पद सृजित किये गये तब इस पर सवाल उठे थे।
जब मीरा वालिया की नियुक्ति हुई थी तब इस नियुक्ति को एक हेमराज ने प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। हेमराज की यह याचिका अभी तक प्रदेश उच्च न्यायालय में लंबित चल रही है। अब माना जा रहा है कि डा. रचना गुप्ता के देवाशीष को नोटिस से इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई की सम्भावना आ सकती है यह याचिका सर्वोच्च न्यायालय में पंजाब लोकसेवा को लेकर पंजाब, हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले की अपील में आयी थी। पंजाब लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति को एक जनहित याचिका में चुनौती दी गयी थी और उच्च न्यायालय ने इस नियुक्ति को रद्द कर दिया था। पंजाब सरकार अपील में सर्वोच्च न्यायालय में चली गयी और शीर्ष अदालत ने न केवल पंजाब- हरियाणा, उच्च न्यायालय के फैसले को बहाल रखा बल्कि यह निर्देश भी जारी किये कि लोक सेवा आयोगों में अध्यक्ष/सदस्यों की नियुक्ति को लेकर स्पष्ट मानक और पूरी तरह परिभाषित प्रक्रिया होनी चाहिये क्योंकि इनकी नियुक्ति तो राज्यपाल के द्वारा की जाती है लेकिन निकालने का अधिकार राज्यपाल को नही है। इसके लिये प्रक्रिया परिभाषित है जो कि शीर्ष अदालत से लेकर राष्ट्रपति तक जाती है। सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला 15 फरवरी 2013 को आया था और पूरे देश पर लागू है। संयोगवश हिमाचल लोकसेवा आयोग की वर्तमान की सारी नियुक्तियां इस फैसले के बाद ही हुई है।
हेमराज की याचिका में इन सभी नियुक्तियों को चुनौती दी गयी है। क्योंकि प्रदेश लोकसेवा की नियुक्ति को लेकर आज तक कोई मानक और प्रक्रिया परिभाषित नही है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस नोटिसबाजी के बाद उच्च न्यायालय में लंबित इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई की संभावना आ जायेगी क्योंकि देवाशीष ने अपनी पोस्टों में अधिकांश में मानकों और प्रक्रिया पर ही सवाल उठाये हैं। ऐसे में स्वभाविक है कि वह इस याचिका पर उच्च न्यायालय में शीघ्र सुनवाई के लिये प्रयास करेगा। माना जा रहा है कि इस नोटिस का जो भी परिणाम रहेगा उसका 2019 के चुनावों पर असर पडेगा।