राजेश धर्माणी और दीपक राठौर को जिम्मेदारीयां मिलना प्रदेश कांग्रेस में नये समीकरणों का संकेत

Created on Tuesday, 28 August 2018 06:19
Written by Shail Samachar

शिमला/शैल। राहूल गांधी के कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेश कांग्रेस के दो नेताओं राजेश धर्माणी और दीपक राठौर को राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारीयां दिये जाने के बाद पार्टी के समीकरणों में बदलाव के संकेत उभरने लगे हैं। स्मरणीय है कि पूर्व विधायक एवम् सीपीएस राजेश धर्माणी वीरभद्र सरकार के पूरे पांच वर्ष के कार्यकाल में एक ऐसे नेता रहे हैं जो आखिर तक अपने स्टैण्ड पर कायम रहे। जब धर्माणी के वीरभद्र की कार्यशैली को लेकर उनसे मतभेद हो गये थे तब उन्होने सीपीएस के पद से यागपत्र दे दिया था। वीरभद्र ने यह त्यागपत्र स्वीकार नही किया था। लेकिन धर्माणी ने त्यागपत्रा के साथ ही सचिवालय में मिले अपने कार्यालय में आना छोड़ दिया था और कार्यकाल के अन्तिम दिन तक अपने इस फैसले पर कायम रहे। वीरभद्र विरोधियों की अग्रिम पंक्ति में उनका पहला नाम आता था और शायद इसी का नुकसान भी उन्हें विधानसभा चुनावों में उठाना पड़ा।
इसी तरह दीपक राठौर को ठियोग विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया गया था। राठौर को हटवाने के लिये वीरभद्र को किस हद तक उनका विरोध करना पड़ा है यह चुनावों के दौरान ही खुलकर सामने आ गया था। लेकिन इस विरोध के बावजूद राठौर अपने स्टैण्ड पर चलते रहे। दीपक राठौर को चुनाव टिकट राहूल गांधी का विश्वस्त होने के नाम पर मिला था और शायद यही वीरभद्र की नाराज़गी का कारण भी रहा है। अब जब राठौर को राहूल गांधी ने जिम्मेदारी सौंपी है उससे यह संदेश गया है कि वह अभी भी विश्वस्तों की सूची में बने हुए हैं।
इन दोनां युवा नेताओं के अतिरिक्त इस समय आनन्द शर्मा और आशा कुमारी कांग्रेस की राष्ट्रीय स्तर की सर्वोच्च कमेटी के सदस्य हैं। आनन्द शर्मा का कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर एक कारगर योगदान चला आ रहा है। जिस कारण उन्हें पार्टी की विदेश मामलों की कमेटी की अध्यक्षता सौपी गयी है। आशा कुमारी का योगदान पंजाब प्रभारी के नाते सबके सामने रहा है। आज आनन्द शर्मा और आशा कुमारी प्रदेश कांग्रेस में वीरभद्र और कौल सिंह के बाद अगली पंक्ति के नेता माने जाते हैं। वीरभद्र के बाद कांग्रेस का नेता कौन होगा इसका अभी कोई अन्तिम फैसला नही आ पाया है। क्योंकि वीरभद्र जिस तरह से प्रदेश अध्यक्ष सुक्खु का विरोध करते आ रहे हैं उससे उनका अपना ही कद हल्का पड़ा है। मुकेश अग्निहोत्री नेता प्रतिपक्ष हो गये हैं लेकिन यह सभी जानते हैं कि विधायकों का एक बड़ा वर्ग दबी जुबान से उनका विरोध भी कर रहा था। फिर वीरभद्र सिंह ने भी अभी तक सार्वजनिक रूप से यह नही कहा है कि मुकेश प्रदेश के अगले नेता होंगे। वीरभद्र का जयराम सरकार के प्रति नरम रूख आज सबसे बड़ी चर्चा का विषय बना हुआ है और यह माना जा रहा है कि इससे लोकसभा चुनावों में नुकसान हो सकता है।
ऐसे परिदृश्यों में राहूल गांधी द्वारा राजेश धर्माणी और दीपक राठौर को जिम्मेदारीयां दिया जाना इस बात का खुला संकेत है कि कांग्रेस हाईकमान अभी से प्रदेश में अगला नेतृत्व तैयार करने की दिशा में कदम उठा चुका है। क्योंकि यह दोनो युवा नेता वीरभद्र के प्रभावक्षेत्र से बाहर के माने जाते हैं।