कायाकल्प को 90 कनाल जमीन देने पर शान्ता का विवेकानन्द ट्रस्ट फिर विवादों में

Created on Tuesday, 03 April 2018 08:00
Written by Shail Samachar

 शिमला/शैल। पालमपुर स्थित विवेकानन्द ट्रस्ट एक लम्बे अरसे से अपनी ही तरह के विवादों में उलझता आ रहा है। यह स्ट्रट कभी स्व. दौलत राम चैहान शिमला में स्थापित करना चाहते थे। लेकिन यह पालमपुर कैसे   पहुंच गया इसको लेकर भी कई चर्चाएं हैं। इस ट्रस्ट को लेकर कई बार सदन में भी चर्चाएं उठ चुकी हैं। पहली बार इसको लेकर चर्चा इसी के ट्रस्टी रह सेवानिवृत वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एस.के.आलोक ने एक लम्बा  चौड़ा पर्चाे छापकर शुरू की थी। यह सवाल उठाया गया था कि जो करोड़ो रूपया लोगों के सहयोग से मिला था उसका निवेश कहां हुआ है। इस ट्रस्ट को लेकर शान्ता कुमार, जीएस बाली में वाक्युद्ध शुरू हुआ था और बाली हमेशा शान्ता और भाजपा के निशाने पर रहते थे। शान्ता ने बाली को ट्रस्ट में आकर खुद जांच करने की चुनौती दे दी थी। लेकिन जब एक दिन बाली वहां अचानक   पहुंच गये तो वह उसके बाद जो युद्ध विराम बाली, शान्ता और भाजपा में हुआ वह आज तक कायम है।
इस ट्रस्ट में कभी प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव भी ट्रस्टी हुआ करते थे लेकिन आज यह ट्रस्ट जेपी उद्योग के हाथों में चला गया है। ट्रस्ट को सरकार से लीज़ पर ज़मीन मिली हुई है। अब इस ट्रस्ट के ही प्रागंण में एक संस्थान कायाकल्प के नाम से आ गया है। चर्चा है कि इस कायाकल्प को विवेकानन्द ट्रस्ट ने ही 90 कनाल जमीन लीज़ पर दी है। विवेकानन्द ट्रस्ट के पास स्वयं लीज़ पर जमीन है और धारा 118 के तह अनुमति लेकर यह लीज़ मिली है। लेकिन अब जब विवेकानन्द ट्रस्ट ने 90 कनाल ज़मीन आगे कायाकल्प को दे दी है तो इसका अर्थ है कि उसके पास यह जमीन फालतू थी जिसका उसने कोई उपयोग नही किया था। धारा 118 के तहत अनुमति लेकर ली गयी जमीन को यदि लेने वाला तीन वर्ष के भीतर उपयोग में न लाये तो ऐसी ज़मीन सरकार को वापिस चली जाती है। लेकिन अब जमीन वापिस किये बिना ही उसे आगे कायाकल्प को देने से एक नया विवाद खड़ा हो गया है कि क्या सब सरकार की सहमति से हुआ है और क्या अन्य लोगों को भी ऐसी अनुमति मिलेगी। प्रदेश का राजस्व विभाग इस पर कुछ भी कहने से बच रहा है।