शिमला/शैल। ईडी द्वारा वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर की गिरफ्तारी के बाद वीरभद्र का मनीलाॅंड्रिंग मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। हालांकि वक्कामुल्ला चन्द्रशखेर को जब गिरफ्तारी के बाद ईडी ने अदालत में पेश किया और कस्टोडियल जांच की मांग की तब अदालत ने ईडी के आग्रह को अस्वीकार करते हुए उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया। न्यायिक हिरासत से उसे कब ज़मानत मिलती है और उसके खिलाफ कब अदालत में चालान दायर किया जाता है इसका पता तो आने वाले समय में ही लगेगा। वक्कामुल्ला को जब गिरफ्तार कर लिया गया है तो निश्चित है कि उसके खिलाफ भी चालान तो दायर करना ही पड़ेगा। लेकिन जब तक यह चालान दायर नही हो जाता है तब तक इस मामले में पहले आनन्द चौहान और फिर वीरभद्र सिंह एवम् अन्य के खिलाफ दायर हो चुके चालानों पर कारवाई आगे नही बढ़ पायेगी। क्योंकि यह सब एक ही मामले की अलग-अलग कड़ियां है।
स्मरणीय है कि वीरभद्र सिंह 28.5.2009 से 26.6.2012 तक केन्द्र में मन्त्री थे और उसी दौरान 30.11.2010 को अशोका होटल स्थित एक जिन्दल स्टील उद्योग के मुख्यालय पर आयकर विभाग की छापेमारी हुई जिसमें एक डायरी पकड़ी गयी। इस डायरी में कुछ लोगों के सांकेतिक नाम थे जिनके आगे मोटी रकमें दर्ज थी। इनमें एक नाम VBS था जिसके आगे 2.77 करोड़ की रकम लिखी गयी थी। इस नाम को वीरभद्र सिंह मान लिया गया। इसके बाद मार्च 2012 में वीरभद्र ने पिछले तीन वर्षो की संशोधित आयकर रिटर्नज़ दायर कर दी और इनमें पहले दायर की गयी मूल आय से कई गुणा अधिक आय दिखा दी गयी। इसके बाद 11-01-2013 को प्रशांत भूषण ने सीबीआई और सीबीसी में एक शिकायत डालकर यह आग्रह कर दिया कि आयकर विभाग को 30.11.2010 को छापेमारी के दौरान जो डायरी मिली थी जिसमें VBS के आगे 2.77 करोड़ की रकम लिखी गयी थी उसे वीरभद्र से जोड़कर इस मामले की जांच की जाये। इस तरह आगे बढे़ इस मामले में सीबीआई ने 23-09-2015 को वीरभद्र एवम् अन्य के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कर लिया और इसमें वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर को भी एक सहअभियुक्त बना लिया गया। क्योंकि जब प्रतिभा सिंह ने मण्डी से उपचुनाव लड़ा था तो चुनाव शपथपत्र में वीरभद्र और अपने नाम पर करीब चार करोड़ का Unscured कर्ज वक्कामुल्ला से लिया दिखाया था। सीबीआई द्वारा मामला दर्ज किये जाने के बाद 27.10.2015 को ईडी ने भी मनीलाॅंड्रिंग के तहत मामला दर्ज कर लिया।
सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच पूरी करके चालान ट्रायल कोर्ट में डाल दिया है। इसमें वीरभद्र सिंह, प्रतिभा सिंह, चुन्नी लाल, आनन्द चौहान, वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर सहित ग्याहर लोगों को अभियुक्त बनाया गया है परन्तु सीबीआई ने इस मामले में एक भी गिरफ्तारी नही की है। जबकि दूसरी ओर ईडी ने मामला दर्ज करने के बाद 23.3.2016 को पहला अटैचमैन्ट आर्डर जारी करके दिल्ली के ग्रेटर कैलाश स्थित मकान सहित करीब आठ करोड़ की संपत्ति अटैच कर ली। ग्रटेर कैलाश का मकान प्रतिभा सिंह के नाम पर है। इस अटैचमैन्ट के बाद 9 जूलाई 2016 परिवार के एलआईसी ऐजैन्ट आनन्द चौहान को ई डी ने गिरफ्तार कर लिया। यहां यह गौरतलब है कि 23 मार्च 2016 को जो अैटचमैन्ट आर्डर जारी किया गया था उसमें स्पष्ट लिखा गया है कि वक्कामुल्ला की भूमिका को लेकर अभी जांच पूरी नही हुई है और जांच पूरी होने के बाद इसमें अनुपूरक चालान दायर किया जायेगा। सीबीआई की जांच में आनन्द चौहान और वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर पूरे मामले के दो प्रमुख पात्र हैं क्योंकि वीरभद्र परिवार के पास पैसा या तो आनन्द चौहान या वक्कामुल्ला के माध्यम से आया है।
ईडी ने जब आनन्द चौहान को गिरफ्तार किया तो उसके बाद इस सद्धर्भ में चालान भी दायर करना पड़ा। लेकिन इस चालान पर कारवाई आगे नही बढ़ पायी क्योंकि उसमें अनुपूरक चालान नही आया था। अदालत लगातार अनुपूरक चालान के लिये ई डी को लताड़ लगाता रहा। विधानसभा चुनावों के दौरान चार बार ई डी ने इसके लिये समय मांगा। बल्कि अनुपूरक चालान में देरी होने के कारण ही आनन्द चौहान को जमानत मिल गयी। यहां यह भी गौरतलब है कि 31-03-2017 को ई डी ने दूसरा अटैचमैन्ट आर्डर जारी करके महरौली स्थित फार्म हाऊस को भी अटैच कर लिया है। यह फार्म हाऊस विक्रमादित्य और अपराजिता की कंपनी के नाम है। इसकी खरीद 1.20 करोड़ में दिखायी गयी है और इसके लिये 90 लाख रूपया वीरभद्र ने दिया है और शेष 30 लाख विक्रमादित्य सिंह ने। लेकिन जिस समय यह फार्म हाऊस खरीदा गया उस वर्ष की आयकर रिटर्न में विक्रमादित्य सिंह ने अपनी कुल आय ही 2,97,149 दिखाई है और यह तीस लाख से कहीं कम है। ई डी ने जो दूसरा अटैचमैन्ट आर्डर जारी किया है उसके मुताबिक 18-07-11 को 90 लाख रूपया पांच आरटीजीएस के माध्यम से भारत फूडज, गुरचरण सिंह और एचडीएफसी बैंक से वक्कामुल्ला के नाम गया। फिर 21-07-11 को यही पैसा वक्कामुल्ला से वीरभद्र को गया। वीरभद्र से 2-8-11 को यह पैसा विक्रमादित्य सिंह को गया तथा 4-8-11 को यही पैसा सुनीता गड्डे और पिचेश्वर गड्डे को गया जिनसे यह फार्महाऊस खरीदा गया है। फिर 19-11-11 से 25-11-11 तक दो करोड़ रूपया वक्कामुल्ला से विक्रमादित्य सिंह को गया। फिर मैप्पल डैस्टीनेशन से 11-1-12 को 1.50 करोड़ तारिणी शूगर को और 10-1-12 को 50 लाख वक्कामुल्ला को गया। इस सारे लेन -देन के दस्तावेज ई डी के दूसरे अटैचमैन्ट आर्डर के साथ लगे हैं। लेकिन ई डी ने जो अनुपूरक चालान दायर किया है उसमें वीरभद्र सहित छः लोग अभियुक्त बनाये गये हैं और उसमें वक्कामुल्ला का नाम नहीं है। अब वक्कामुल्ला को गिरफ्तार किया गया है तो इस गिरफ्तारी से फिर सवाल उठेगा कि मुख्य अभियुक्तों को छोड़कर सह अभियुक्तों को क्यों पकड़ा जा रहा है। आनन्द चौहान के साथ भी यह सवाल उठा था। अदालत में भी यह सवाल तो उठेगा ही। इसलिये ईडी जिस तरह से इस मामले में आगे बढ़ रही है उससे लगता है कि इसमें कई अनुपूरक चालान और आयेंगे। क्योंकि जिस भारत फूडज़ और गुरचरण सिंह के नाम से ट्रांजैक्शन दिखा रखी है कल को ईडी उन्हे भी पकड़ सकती है। उसके बाद जिस गड्डे परिवार से फार्म हाऊस की खरीद दिखायी गयी है उनकी बारी भी आ सकती है लेकिन इस पूरे मामले ईडी को अन्ततः यह जवाब देना ही होगा कि मुख्य अभियुक्तों को छोड़कर सह अभियुक्तो को क्यों पकड़ा गया? या फिर ईडी ने जितने भी दस्तावेज जुटाये हैं उनकी प्रमाणिकता पर क्या उसे ही सन्देह है और इसीलिये मामले को लम्बा खिंचा जा रहा है ताकि समय के साथ सब कुछ अपने आप ही दब जाये।